अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहायता को लेकर भारत से चर्चा जारी : संयुक्त राष्ट्र डब्ल्यूएफपी

अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहायता को लेकर भारत से चर्चा जारी : संयुक्त राष्ट्र डब्ल्यूएफपी

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  • Publish Date - November 13, 2021 / 01:34 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:17 PM IST

(उज्मी अतहर)

नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) अफगानिस्तान के लिये विश्व खाद्य कार्यक्रम की प्रमुख सेसिलिया गार्जों ने कहा कि अफगानिस्तान के लिये मानवीय आधार पर खाद्य सहायता देने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (यूएनडब्ल्यूएफपी) और भारत के बीच बातचीत जारी है।

गार्जों ने देशों से अपील की कि वे युद्ध से प्रभावित रहे अफगानिस्तान में परिवारों की मदद के लिये हर संभव प्रयास करें जो विश्व के सबसे बड़े मानवीय संकट का सामना कर रहा है।

अफगानिस्तान में खाद्य संकट के स्तर और प्रकृति की चर्चा करते हुए गार्जों ने कहा कि कई तरह के कारकों के कारण परिवारों तक भोजन की पहुंच पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

गार्जों ने ‘पीटीआई’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारत सहित सभी देशों को अफगानिस्तान में परिवारों की मदद के लिये अपने स्तर पर हर संभव प्रयास करना चाहिए ।

उन्होंने कहा, ‘‘ खाद्यान्न और परिवारों के लिये अन्य साधन के आभाव में बड़ी संख्या में अफगानिस्तान के लोगों के सुरक्षा और स्थिरता की तलाश में अपना घर छोड़कर जाने की संभावना है। अफगानिस्तान वास्तव में दुनिया की सबसे बड़े मानवीय संकट का सामना कर रहा है और उसकी जरूरतें इथोपिया, दक्षिणी सूडान, सीरिया और यमन से अधिक हो गई हैं। इस आपदा को रोकने के लिये दुनिया जो भी कर सकती है, उसे करना चाहिए।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने मदद के लिये भारत से औपचारिक मदद मांगी है, उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएफपी और भारत सरकार के बीच अफगानिस्तान सहित मानवीय आधार पर खाद्य सहायता को समर्थन देने के लिये ‘सकारात्मक चर्चा’ जारी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें उम्मीद है कि यह (चर्चा) जल्द ही पूरी हो जाएगी।’’

गार्जों ने कहा कि अफगानिस्तान में अब रोजगार नहीं है, नकदी नहीं है और अभिभावकों के पास अपने परिवार के लिये भोजन खरीदने के लिये कोई रास्ता नहीं है।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तीन वर्षों में दूसरी बार सूखा पड़ा और इसके कारण देश में अनाज का उत्पादन काफी गिर गया और इससे ग्रामीण समुदायों में आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ा।

उन्होंने कहा कि संघर्ष की स्थिति में पलायन को मजबूर हुए लोग शिविरों में रह रहे हैं और वे पूरी तरह से मानवीय मदद पर निर्भर हैं, साथ ही 15 अगस्त के बाद अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण रूकने से अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है।

गार्जों ने कहा कि हाल के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि 2.28 करोड़ लोगों को आने वाले महीनों में गंभीर खाद्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि हमने पिछले 10 वर्षों में अफगानिस्तान में ऐसी स्थिति नहीं देखी जब लोगों को खाद्य असुरक्षा की ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा हो। यह वास्तव में भयावह और हताश करने वाला समय है।

भाषा दीपक प्रशांत

प्रशांत