भारत में प्लाज्मा पद्धति के सीमित फायदे ही देखने को मिले : अध्ययन

भारत में प्लाज्मा पद्धति के सीमित फायदे ही देखने को मिले : अध्ययन

भारत में प्लाज्मा पद्धति के सीमित फायदे ही देखने को मिले : अध्ययन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:47 pm IST
Published Date: October 23, 2020 11:28 am IST

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोविड-19 के मामले में भारत में किए गए एक परीक्षण में गभीर बीमारी के बढ़ने और मौतों को घटाने में प्लाज्मा थेरेपी का सीमित असर ही देखने को मिला है।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित अध्ययन में अप्रैल और जुलाई के बीच भारत के अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले 464 वयस्कों को शामिल किया गया था।

प्लाज्मा पद्धति के तहत कोविड-19 से स्वस्थ हो चुके लोगों के प्लाज्मा से संक्रमित मरीजों का उपचार किया जाता है।

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अध्ययन के तहत 239 वयस्क मरीजों का मानक देखभाल के साथ प्लाज्मा पद्धति से उपचार किया गया जबकि 229 मरीजों का मानक स्तर के तहत उपचार किया गया।

एक महीने बाद सीमित उपचार वाले 41 मरीजों (18 प्रतिशत मरीजों) की तुलना में प्लाज्मा दिए गए 44 मरीजों (19 प्रतिशत मरीजों) की गंभीर बीमारी बढ़ गयी या किसी अन्य कारण से उनकी मौत हो गयी ।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, हालांकि प्लाज्मा थेरेपी से सात दिन बाद सांस लेने में दिक्कतें या बेचैनी की शिकायतें कम हुईं । अध्ययन करने वाली इस टीम में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान तमिलनाडु के विशेषज्ञ भी शामिल थे।

शोधकर्ताओं ने पत्रिका में लिखा है, ‘‘स्वस्थ हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा का कोविड-19 की गंभीरता को घटाने या मृत्यु के संबंध में जुड़ाव नहीं है।’’ शोधकर्ताओं ने कहा कि प्लाज्मा दान करने वालों और इसे दिए जाने वाले व्यक्ति में एंटीबॉडी के पूर्व के आकलन से कोविड-19 के प्रबंधन में प्लाज्मा की भूमिका और स्पष्ट हो सकती है।

अध्ययन में शामिल किए गए मरीजों की न्यूनतम उम्र 18 साल थी और आरटी-पीसीआर के जरिए उनमें संक्रमण की पुष्टि की गयी थी।

भागीदारों को 24 घंटे में दो बार 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ाया गया और मानक स्तर की देखभाल की गयी। पूर्व के अध्ययनों में भले ही प्लाज्मा पद्धति से मरीजों को फायदे की बात कही गयी थी लेकिन परीक्षण रोक दिए गए और कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु रोकने में इसका कोई फायदा नहीं मिला।

सीमित प्रयोगशाला क्षमता के साथ किए गए नए अध्ययन में कहा गया है कि प्लाज्मा पद्धति मृत्यु दर या बीमारी की गंभीरता को घटाता नहीं है।

भाषा आशीष माधव

माधव


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