जलवायु सुरक्षा सूची में भारत की रैकिंग सुधरी, आठवें नंबर पर

जलवायु सुरक्षा सूची में भारत की रैकिंग सुधरी, आठवें नंबर पर

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  • Publish Date - November 15, 2022 / 08:32 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:51 PM IST

नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) भारत जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई), 2023 में 63 देशों की सूची में दो पायदान ऊपर चढ़कर आठवें स्थान पर आ गया है और इसका श्रेय उसके निम्न उत्सर्जन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के लगातार बढ़ते उपयोग को जाता है।

पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले तीन गैर सरकारी संगठनों ने सोमवार को यह रिपोर्ट जारी की। ये तीनों संगठन यूरोपीय संघ तथा 59 देशों के जलवायु संबंधी कार्य प्रदर्शन पर नजर रखते हैं। विश्व में ग्रीन हाउस गैस का 92 फीसद उत्सर्जन इन्हीं देशों में होता है।

जर्मनवाच, न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाईमेट एक्शन नेटवर्क की यह रैकिंग इस बात पर आधारित है कि किस तरह ये देश 2030 तक अपना उत्सर्जन आधा करने तथा खतरनाक जलवायु परिवर्तन को रोकने दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तथा इसके लिए वे क्या कर रहे हैं।

उत्सर्जन आधा करने के प्रयासों में 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को जद में रखना और खतरनाक जलवायु परिवर्तन को रोकना शामिल है।

सीसीपीआई का 2005 के बाद प्रकाशित किया गया है और इसका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय जलवायु राजनीति में पारदर्शिता बढ़ाना है। यह दशों के जलवायु सुरक्षा प्रयासों एवं प्रगति पर तुलना में भी मदद करता है।

इस रिपोर्ट में पहले तीन स्थान खाली रखे गये हैं क्योंकि ‘‘ किसी भी देश ने सूचकांक की सभी श्रेणियों में इतना प्रदर्शन नहीं किया है कि उन्हें संपूर्ण अच्छी रेटिंग दी जाए।’’ उसने डेनमार्क को चौथे, स्वीडन को पांचवें और चिली को छठे स्थान पर रखा है।

भारत को ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन एवं ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में अच्छी रेटिंग मिली है जबकि उसे जलवायु नीति तथा नवीकरणीय ऊर्जा खंडों में मध्यम रेटिंग मिली है।

दुनिया में सबसे बड़ा प्रदूषक देश चीन 13 पायदान नीचे गिरकर 51 वें नंबर पर आ गया है तथा उसे कोयला आधारित नये विद्युत संयंत्रों की योजना के चलते खराब रेटिंग मिली है। अमेरिका तीन पायदान चढ़कर 52 वें नंबर पर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2030 के अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को हासिल करने के ‘मार्ग पर’ है जो दो डिग्री सेल्सियस से नीचे के परिदृश्य के अनुकूल है। उसने कहा, ‘‘ लेकिन उसका नवीकरणीय ऊर्जा पथ 2030 के लक्ष्यों के लिए सही ट्रैक पर नहीं है।’’

भाषा राजकुमार मनीषा पवनेश

पवनेश