उद्योग जगत अपने प्रत्येक कार्यक्रम में ‘वंदे मातरम्’ का गान करें : केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान

उद्योग जगत अपने प्रत्येक कार्यक्रम में ‘वंदे मातरम्’ का गान करें : केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान

उद्योग जगत अपने प्रत्येक कार्यक्रम में ‘वंदे मातरम्’ का गान करें : केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान
Modified Date: December 8, 2025 / 04:30 pm IST
Published Date: December 8, 2025 4:30 pm IST

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को उद्योग जगत से आह्वान किया कि वे हर कार्यक्रम में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ का गान करें।

उन्होंने यह अपील इस गीत की 150वीं वर्षगांठ पर संसद में शुरू हुई चर्चा के बीच की है।

चौहान ने उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई द्वारा आयोजित कृषि-व्यापार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आज वंदे मातरम् पूरा नहीं गाया जाता। इसे पूरा गाने में क्या समस्या है।’’

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उन्होंने कहा कि यह गीत प्रेरणादायक है और मातृभूमि के प्रति सभी की भावनाओं को जागृत करता है।

चौहान ने सवाल किया, ‘‘मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं कि इसे गाने में क्या गलत है? मैं आह्वान करता हूं कि जब भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित हों, तो कार्यक्रम शुरू होने से पहले वंदे मातरम् गाया जाए।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित चर्चा की शुरुआत की। राज्यसभा में इस विषय पर मंगलवार को चर्चा होगी।

चौहान ने कृषि क्षेत्र के बारे में कहा कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और मोदी सरकार ने किसानों को बेहतर लाभ सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और यह उपलब्धि लागत बढ़ने के बावजूद हासिल की गई है।

चौहान ने दो प्रमुख मुद्दों को रेखांकित किया जिनपर ध्यान देने की आवश्यकता है।

पहली घटिया बीज और कीटनाशक, दूसरा खुदरा बाजारों की तुलना में किसानों को उनकी उपज के लिए मिलने वाली कीमतों में असमानता।

उन्होंने कहा कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और बिक्री सुनिश्चित करने के लिए बीज एवं कीटनाशक प्रबंधन कानूनों में संशोधन किया जा रहा है।

चौहान ने कहा कि मंत्रालय ने नीतिगत खामियों पर चर्चा करने और किसानों की चिंताओं का समाधान तलाशने के लिए हरियाणा के करनाल में 22-23 दिसंबर को एक विचार-मंथन सत्र ‘चिंतन बैठक’ आयोजित की है।

भाषा धीरज संतोष

संतोष


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