रांची। बिहार के जिस बहुचर्चित चारा घोटाले में आज सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद यादव को जिस मामले 64 ए में सज़ा सुनाई गई है, वो साल 1996 का है। 21 साल से भी ज्यादा समय बाद ये फैसला आया है। करीब 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला के 61 में से 39 केस जब झारखंड के बिहार से अलग होने के बाद पटना से रांची ट्रांसफर किए गए थे, उस वक्त बताया जाता है कि इससे जुड़े दस्तावेजों को भेजने में ही 20 ट्रक भर गए थे।
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Lalu gets 3.5 yrs of jail in fodder scam case
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लालू प्रसाद यादव 1990 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। सत्ता संभालने के चार साल बाद 1994 में ये खुलासा हुआ कि सरकारी खजाने से अलग-अलग फर्जी बिलों के आधार पर अवैध तरीके से रकम निकासी की जा रही है। इस मामले की जांच शुरू हुई तो चारा घोटाला के रूप में इस बहुचर्चित घोटाला सामने आया।
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1996 में सीबीआई ने जांच शुरू की और इस जांच के शुरुआती चरण में ही ये सामने आ गया कि चारे, चारे की ढुलाई, पशुओं की दवा आदि के खर्च के लिए करोड़ों रुपये के फर्जी बिल बनाकर अवैध निकासी की गई।
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#FodderScam: Lalu Prasad Yadav sentenced to 3.5 years in jail and Rs 5 lakh fine by Ranchi Court pic.twitter.com/wi0Cibm93R
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चारा घोटाले की जांच की जब सीबीआई जांच के आदेश दिए गए थे, उस वक्त केंद्र में एच डी देवेगौड़ा की सरकार थी और खुद लालू प्रसाद यादव की देवेगौड़ा को प्रधानमंत्री बनवाने में बड़ी भूमिका थी। लालू प्रसाद यादव को जब पहली बार इसी घोटाले के एक केस में जेल जाना पड़ा था, उस वक्त केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए 1 की सरकार थी। अब चारा घोटाला के ही इस दूसरे मामले में उन्हें जेल की सजा सुनाई गई है और इस वक्त केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार है।
वेब डेस्क, IBC24