ओडिशा की पहचान और भाषा खतरे में: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

ओडिशा की पहचान और भाषा खतरे में: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

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  • Publish Date - April 28, 2024 / 11:11 PM IST,
    Updated On - April 28, 2024 / 11:11 PM IST

भुवनेश्वर, 28 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि ओडिशा की पहचान एवं भाषा खतरे में है तथा राज्य के लोग इसे और बर्दाश्त नहीं करेंगे।

मोदी ने एक समाचार चैनल के साथ साक्षात्कार में यह बात कही। इस साक्षात्कार का एक हिस्सा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा को ओडिशा के लोगों की सेवा का मौका मिलना चाहिए।

मोदी ने सीएनबीसी टीवी 18 के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘ओडिशा की पहचान, उसकी भाषा और साहित्य आज संकट में है। बीजद सरकार ने राज्य में स्थिति बदतर कर दी है। लोग इसे और बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस बार ओडिशा में बदलाव होगा।’’

राज्य में लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा रहे हैं।

भाजपा ने रविवार को मोदी के साक्षात्कार की क्लिपिंग उस समय साझा की जब राज्य ने ‘उत्कल गौरव’ मधुसूदन दास की 176 वीं जयंती के अवसर पर ‘स्वाभिमान दिवस’ मनाया।

मधुसूदन दास उत्कल सम्मिलानी के संस्थापक, ओडिशा आंदोलन के शिल्पी एवं औद्योगिक विकास के क्षेत्र में अग्रणी थे। उनकी 1936 में पृथक ओडिशा राज्य के गठन में भी अहम भूमिका रही थी।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बीजद नेता एवं पूर्व नौकरशाह वी के पांडियन तथा कई अन्य लोग दिन में मधुसूदन दास की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने कटक जिले में सालेपुर के पास स्थित सत्यभामापुर गांव पहुंचे।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी दास की प्रतिमा श्रद्धासुमन अर्पित किए।

पटनायक ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मैं मधुसूदन दास को उनकी जयंती पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। पृथक ओडिशा राज्य के निर्माण, उद्योगों, शिक्षा एवं साहित्य के संवर्धन तथा ओडिया समुदाय की सुरक्षा में उनका अमूल्य योगदान स्मरणीय है।’’

भाषा राजकुमार नेत्रपाल

नेत्रपाल