जम्मू-कश्मीर: एसीबी ने श्रीनगर में ‘परित्यक्त भूमि’ घोटाले की जांच शुरू की
जम्मू-कश्मीर: एसीबी ने श्रीनगर में ‘परित्यक्त भूमि’ घोटाले की जांच शुरू की
श्रीनगर, 11 अक्टूबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सरकारी अधिकारियों और लाभार्थियों से जुड़े कथित बड़े पैमाने पर हुए ‘परित्यक्त संपत्ति’ भूमि घोटाले की आपराधिक जांच शुरू कर दी है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
‘परित्यक्त संपत्ति’ से तात्पर्य उन संपत्तियों व भूमि से है, जो 1947 के विभाजन के दौरान भारत से पाकिस्तान चले गए लोगों द्वारा छोड़ी गई थीं।
एसीबी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) जावेद हसन ने यहां संवाददाताओं को बताया कि यह जांच श्रीनगर में मूल्यवान परित्यक्त भूमि के अवैध आदान-प्रदान और हेरफेर से जुड़े एक ‘बड़े घोटाले’ के बाद की गई है।
अधिकारी ने बताया कि इस मामले ने ‘रेवेन्यू एंड कस्टोडियन इवैक्यू प्रॉपर्टी डिपार्टमेंट’ के कुछ अधिकारियों द्वारा कथित ‘गंभीर अनियमितताओं और धोखाधड़ीपूर्ण कृत्यों’ को उजागर किया।
उन्होंने बताया कि विभाग के अधिकारी अवैध रूप से धन अर्जित करने के लिए लोगों के साथ सक्रिय मिलीभगत कर रहे थे।
हसन के अनुसार, एजेंसी को शहर के गुपकर रोड इलाके में पांच कनाल और 17 मरला की मालिकाना जमीन के बदले पांच कनाल और पांच मरला की ‘परित्यक्त’ संपत्ति की जमीन के आदान-प्रदान के बारे में पुख्ता जानकारी मिली थी।
एसीबी अधिकारी ने बताया कि यह अदला-बदली रक्षा संपदा कार्यालय से अनिवार्य अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त किए बिना की गई और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्देशों के साथ-साथ ऐसे लेनदेन को नियंत्रित करने वाली स्थापित सरकारी प्रक्रियाओं का भी घोर उल्लंघन पाया गया।
एजेंसी द्वारा की गई जांच में पता चला कि संबंधित लोक सेवकों ने ‘जानबूझकर’ कानूनी आवश्यकताओं की अनदेखी की, भूमि अभिलेखों में ‘हेरफेर’ किया और ‘अवैध अदला-बदली’ को सुगम बनाने के लिए पक्षों के साथ ‘सांठगांठ’ की।
अधिकारी ने बताया, “इनका उद्देश्य चुनिंदा लाभार्थियों को अनुचित लाभ पहुंचाना और राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचाना था।”
उन्होंने बताया कि जांच से पता चला कि आधिकारिक अभिलेखों, विशेष रूप से राजस्व विवरण और किरायेदारी कॉलम के साथ छेड़छाड़ और हेराफेरी की गई।
हसन ने बताया कि कुछ अधिकारियों ने झूठी राजस्व प्रविष्टियों को कथित तौर पर सत्यापित किया और परित्यक्त संपत्ति को निजी नामों पर पंजीकृत करने में सक्षम बनाया।
उन्होंने बताया कि अदला-बदली की गई संपत्तियों का मूल्य बेहद अनुपातहीन था क्योंकि गुपकर रोड पर परित्यक्त भूमि अत्यधिक व्यावसायिक महत्व की थी। अधिकारी ने बताया कि एनओसी की आवश्यकता और अन्य अनिवार्य प्रक्रियाओं को जानबूझकर दरकिनार करना एक ‘पूर्व-नियोजित साजिश’ का संकेत देता है।
एसीबी अधिकारी के अनुसार, निष्कर्षों के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया और अवैध वित्तीय लेन-देन की सीमा निर्धारित करने व व्यक्तिगत भूमिकाओं व जिम्मेदारियों का पता लगाने के लिए जांच जारी है।
उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ेगा गिरफ्तारियां और विभागीय कार्रवाई की उम्मीद है।
भाषा जितेंद्र पवनेश
पवनेश

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