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कौन हैं NDA के उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार जगदीप धनखड़? कैसा रहा है उनका सियासी सफर, यहां जानें सबकुछ

वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राज्यपाल रहने के दौरान विवाद होने की वजह से राष्ट्रीय राजनीति में चर्चा में आए। अब जब एनडीए ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दे दी है तो उनका कद भी काफी ज्यादा बढ़ गया है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : August 6, 2022/1:32 pm IST

JAGDEEP DHANKHAD AND HIS POLITICS: जगदीप धनखड़ को एनडीए ने अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है जो कि पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल हैं। आज उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान भी हो रहे हैं। जिसमें एनडीए की जीत की संभावनाएं ज्यादा हैं। बता दें कि धनखड़ राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं । वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राज्यपाल रहने के दौरान विवाद होने की वजह से राष्ट्रीय राजनीति में चर्चा में आए। अब जब एनडीए ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दे दी है तो उनका कद भी काफी ज्यादा बढ़ गया है। तो आइए आपको बताते हैं कि धनखड़ का अब तक का राजनैतिक और निजी जीवन कैसा रहा है और किन-किन विवादों से उनका नाता जुड़ा है।

जगदीप धनखड़ का जन्म एवं शुरुआती जीवन –

जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951को किठाना गांव, झुंझुनू जिला, राजस्थान में हुआ था। जगदीप एक जाट परिवार से नाता रखते है । उनके पिता का नाम चौ. गोकल चंद एवं माँ का नाम श्रीमती केसरी देवी है और दोनों का निधन हो चुका है। जगदीप के बड़े भाई का नाम कुलदीप धनखड़ है जिनकी शादी श्रीमती सुचेता से हुई है। जगदीप के परिवार में 4 भाई बहन है। उनके छोटे भाई का नाम रणदीप धनखड़ है जिनकी शादी श्रीमती सरोज से शादी की। उनकी एक बहन भी है जिसका नाम इंद्रा है और उनकी बहन की शादी श्री धर्म पाल डूडी से हुई है।

जगदीप धनखड़ की शिक्षा –

-जगदीप धनखड़ की प्रारंभिक शिक्षा कक्षा 1 से 5 तक सरकारी प्राथमिक विद्यालय, किठाना गांव में हुई और उसके बाद कक्षा 6 में उन्होंने 4-5 किलोमीटर की दूरी पर सरकारी मिडिल स्कूल, घरधाना में प्रवेश लिया और स्कूल दूर होने के कारन वह गाँव के अन्य छात्रों के साथ स्कूल तक पैदल यात्रा करते थे ।

-साल 1962 में उन्होंने सैनिक स्कूल से भी अपनी शिक्षा प्राप्त की है । उनके बड़े भाई कुलदीप धनखड़ ने भी अपनी पढाई पूरी करने के लिए उसी स्कूल में दाखिला लिया था ।

-उसके बाद अपनी आगे की पढाई पूरी करने के लिए उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध प्रतिष्ठित महाराजा कॉलेज, जयपुर में 3 साल के बीएससी (ऑनर्स) भौतिकी की पढाई करने के लिए में प्रवेश लिया और वहां से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

-उसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढाई करने के लिए दाखिला लिया और वर्ष 1978-1979 में एलएलबी की डिग्री हासिल की।

जगदीप धनखड़ का वैवाहिक जीवन

जगदीप धनखड़ की पत्नी का नाम सुदेश धनखड़ है, जो वर्ष 1979 में ग्रामीण परिवेश के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बनस्थली विद्यापीठ से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर हैं। वह श्री होशियार सिंह और श्रीमती की बेटी हैं। श्रीमती सुदेश धनखड़ की सामाजिक कार्य और जैविक खेती, बाल शिक्षा और उत्थान में गहरी रुचि है। वे एक परिवार के रूप में यात्रा करना पसंद करते हैं और एक साथ मालदीव और कई अन्य स्थानों पर गए हैं।

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कुछ ऐसा रहा धनखड़ का सियासी सफर –

-BJP में शामिल होने से पहले, वह 1989 से 1991 तक राजस्थान के झुंझुनू से सांसद थे। वह जनता दल के सदस्य भी थे। धनखड़ 1993 से 1998 के बीच राजस्थान के किशनगढ़ से विधान सभा के सदस्य भी रहे।

-साल 1989 में झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए। साल 1990 में एक संसदीय समिति के अध्यक्ष चुने गए।

-उसके बाद साल 1990 में केंद्रीय मंत्री। और 1993-1998 में अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधान सभा के लिए चुने गए।

-राजस्थान राज्य में जाट समुदाय सहित अन्य पिछड़े वर्गों को ओबीसी का दर्जा देने में शामिल था। भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 155 के तहत 20 जुलाई, 2019 को श्री जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त करते हुए वारंट जारी किया।

-कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीय श्री थोट्टाथिल बी। नायर राधाकृष्णन ने 30 जुलाई, 2019 को राजभवन, कोलकाता में श्री जगदीप धनखड़ को पद की शपथ दिलाई।

-लोकसभा और राजस्थान विधानसभा दोनों में, वह महत्वपूर्ण समितियों का हिस्सा थे। वह केंद्रीय मंत्री रहते हुए यूरोपीय संसद में एक संसदीय समूह के उप नेता के रूप में एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।

-तब से, उनका सीएम ममता बनर्जी और टीएमसी के साथ तीखा संबंध रहा है। जहां तृणमूल कांग्रेस उन्हें पश्चिम बंगाल में भाजपा का एजेंट कहती है, वहीं भगवा पार्टी उन्हें संविधान का रक्षक कहती है।

-जगदीप ने कई मुद्दों पर जानकारी देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है। दोनों पक्षों के बीच ताजा विवाद मुख्यमंत्री को राज्य के विश्वविद्यालयों का वास्तविक प्रमुख बनाने का मुद्दा था।

-उन्होंने इस फैसले के लिए राज्य सरकार की काफी आलोचना की थी। धनखड़ राज्य सरकार पर राज्य में राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाते रहते हैं और वे समय-समय पर ममता बनर्जी पर तीखे हमले करते रहते हैं।

ममता से विवादों के बाद चर्चा में आए धनखड़

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और गवर्नर से अब एनडीए के उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार बनाए गए जगदीप धनखड़ के रिश्ते में कभी तो मिठास देखने को मिली तो कभी दोनों का छ्त्तीस का आंकड़ा देखने को मिला और इसी की वजह से धनखड़ देशभर में चर्चा में भी आए। धनखड़ ने ममता से हुए विवादों को सार्वजिनक तौर पर कई बार स्वीकार भी किया था।

ममता-धनखड़ के कुछ चर्चित विवाद

-कुछ ही दिनों पहले एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में जगदीप धनखड़ ने ममता की काफी आलोचना की थी और कहा था कि राज्य में लोकतांत्रिक हालात सही नहीं हैं। पश्चिम बंगाल ज्वालामुखी पर बैठा है और काफी क्रिटिकल स्टेज में है। यहां कोई डेमोक्रेसी नहीं है। बंगाल की जो हालत है- अगर सांस लेना है, नौकरी करना है, राजनीति करनी, अच्छी जिंदगी बितानी है तो एक ही रास्ता है, सत्ताधारी पार्टी के साथ आ जाओ।

-पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुछ दिनों पहले राज्य के गवर्नर जगदीप धनखड़ को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया था। सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि वो बंगाल के गवर्नर के ट्वीट से परेशान हो गई थीं, जिसके बाद उन्होंने जगदीप धनखड़ को ब्लॉक कर दिया। इस दौरान ममता बनर्जी ने गर्वनर धनखड़ पर गंभीर आरोप भी लगाए। जिसके बाद धनखड़ ने इससे साफ इनकार किया था।

-पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और सीएम ममता बनर्जी के बीच टकराव के बीच गवर्नर ने सीएम को पत्र लिखकर बातचीत का न्यौता दिया था और उन्हें सुविधानुसार राजभवन आमंत्रित किया था। इसे आपसी रिश्ते सुधारने की कोशिश माना गया था और दोनों बातचीत करते हुए नजर आए थे।

धनखड़ को ही NDA ने क्यों बनाया उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार

राजनीतिक गलियारों में इस बात की खूब चर्चा थी कि उपराष्ट्रपति पद के लिए NDA द्वारा कोई दलित चेहरा लाया जाएगा लेकिन जाट समुदाय से आने वाले धनखड़ का नाम सबसे आगे हो गया। इससे बीजेपी की कोशिश कहीं न कहीं हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वोट बैंक को साधे रखना है। तैयारी 2024 की भी है। वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार का इस विषय पर कहना है कि बीजेपी ने जगदीप धनखड़ के परिचय की पहली लाइन में ही किसान पुत्र से संबोधन शुरू किया है। इससे मैसेज साफ है कि कहीं न कहीं बीजेपी किसानों को साधने की कोशिश में है। MSP को लेकर बनने वाले ड्राफ्ट या समिति में किसी ऐसे व्यक्ति का नाम भी चाहिए था जो किसान हो और जाट हो। जिसका प्रभाव जाट लैंड में ठीकठाक हो, उसमें धनखड़ फिट बैठे। शायद यही वजह रही कि जगदीप धनखड़ के नाम पर मुहर लगी।

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