महाराष्ट्र : शिंदे, अन्य की अयोग्यता याचिका के निपटारे के अनुरोध वाली अर्जी पर विस अध्यक्ष को नोटिस

महाराष्ट्र : शिंदे, अन्य की अयोग्यता याचिका के निपटारे के अनुरोध वाली अर्जी पर विस अध्यक्ष को नोटिस

महाराष्ट्र : शिंदे, अन्य की अयोग्यता याचिका के निपटारे के अनुरोध वाली अर्जी पर विस अध्यक्ष को नोटिस
Modified Date: July 14, 2023 / 05:26 pm IST
Published Date: July 14, 2023 5:26 pm IST

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय से जवाब मांगा, जिसमें जून 2022 में राज्य में सरकार गठन के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य शिवसेना विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं का जल्द निपटारा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को इस संबंध में नोटिस जारी किया। अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में प्रभु ने 2022 में पार्टी से बगावत करने वाले शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं दायर की थीं।

पीठ ने कहा, “हम दो सप्ताह में लौटाने योग्य नोटिस जारी करेंगे।” इस पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।

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शिवसेना (यूबीटी) की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर शीर्ष अदालत के 11 मई के आदेश के बावजूद अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने में देरी कर रहे हैं।

अधिवक्ता निशांत पाटिल और अमित आनंद तिवारी के माध्यम से दाखिल इस याचिका में कहा गया है, “महाराष्ट्र विधानसभा के दोषी सदस्यों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं के निपटारे में जानबूझकर देरी किए जाने के प्रतिवादी अध्यक्ष के आचरण के मद्देनजर याचिकाकर्ता इस अदालत से उसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत हासिल असाधारण क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल करने का अनुरोध करने के लिए बाध्य है।”

याचिका में दावा किया गया है कि लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर उचित अवधि के भीतर फैसला लिए जाने के शीर्ष अदालत के 11 मई के आदेश के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने इस संबंध में एक भी बार सुनवाई नहीं की है।

इसमें कहा गया है, “याचिकाकर्ता ने अयोग्यता के उक्त मामलों में सुनवाई करने के लिए 15 मई 2023, 23 मई 2023 और दो जून 2023 को तीन से अधिक अभ्यावेदन भी भेजे, लेकिन प्रतिवादी अध्यक्ष ने तटस्थता के साथ अपने संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन की अवहेलना करते हुए अयोग्यता याचिकाओं के निपटारे में देरी की, जिससे एकनाथ शिंदे को अवैध रूप से मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की अनुमति मिली, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लंबित हैं।”

याचिका में कहा गया है, “इसलिए इस अदालत के लिए जरूरी है कि वह महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष को याचिकाकर्ता द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा के दोषी सदस्यों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर समयबद्ध तरीके से जल्द फैसला लेने का निर्देश दे।”

याचिकाकर्ता ने अदालत से विधानसभा अध्यक्ष को उसके द्वारा संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत शिंदे के वफादार विधायकों के खिलाफ 23 जून 2022, 25 जून 2022, 27 जून 2022, तीन जुलाई 2022 और पांच जुलाई 2022 को दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अधिमानतः दो सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

प्रभु ने अपनी याचिका में कहा है कि यह एक स्थापित कानून है कि अध्यक्ष दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित 10वीं अनुसूची के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय एक न्यायिक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करता है और उसका निष्पक्ष एवं तटस्थ रूप से कार्य करना जरूरी है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि मौजूदा मामले में ‘दोषी’ विधायकों ने ‘बेहद असंवैधानिक’ कार्य किए हैं, जो 10वीं अनुसूचि के खंड 2(1)(ए), 2(1)(बी) और 2(2) के तहत अयोग्यता को आमंत्रित करते हैं।

याचिका में कहा गया है, “अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने में विधानसभा अध्यक्ष की निष्क्रियता गंभीर असंवैधानिक कार्य है, क्योंकि उनकी निष्क्रियता उन विधायकों को विधानसभा में बने रहने और मुख्यमंत्री सहित महाराष्ट्र सरकार के अन्य जिम्मेदार पद संभालने की अनुमति दे रही है, जिन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है।”

भाषा पारुल नरेश

नरेश


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