मकोका मामला: उच्च न्यायालय ने आप विधायक नरेश की जमानत याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा
मकोका मामला: उच्च न्यायालय ने आप विधायक नरेश की जमानत याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दर्ज मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और उत्तम नगर के विधायक नरेश बाल्यान की जमानत याचिका पर सोमवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करें। अगली सुनवाई से पहले वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाए।’’
विधायक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने अदालत से उन्हें इस आधार पर रिहा करने का अनुरोध किया कि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और उनकी पत्नी चुनाव लड़ रही हैं।
बाल्यान ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा, ‘‘मुझे कम से कम अंतरिम जमानत दी जाए। मैं कोई अपराधी नहीं हूं।’’
पाहवा ने यह भी दलील दी कि बाल्यान के खिलाफ ‘‘कोई सबूत नहीं है’’ और यह ‘पूरी तरह से फर्जी’ मामला है।
उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में बाल्यान का नाम भी नहीं है और विधायक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने ही इस अपराध के विरूद्ध शिकायत दर्ज करायी थी।
पाहवा ने अपने मुवक्किल की तरफ से कहा, ‘‘ यदि मैं किसी गिरोह का हिस्सा होता तो अन्य लोगों के साथ साथ मेरे विरूद्ध प्राथमिकी भी होनी चाहिए। उसके पास गिरफ्तार करने का अधिकार है…लेकिन (मामले में) कुछ ठोस तथ्य तो होना चाहिए।’’
उन्होंने बाल्यान की ओर से कहा, ‘‘ उन्होंने मुझे उसी दिन (जब दूसरे मामले में जमानत मिली) यह कहते हुए गिरफ्तार कर लिया कि तुम उस गिरोह का हिस्सा हो जिसके खिलाफ तुमने शिकायत की थी।’’
पुलिस के वकील ने वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया, जिसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी को तय की।
पाहवा ने कहा कि यदि इस मामले को अगली तारीख के लिए टाला जाता है तो जमानत याचिका का उद्देश्य विफल हो जाएगा।
बाल्यान पर एक संगठित अपराध गिरोह का ‘मार्ग आसान बनाने’ का आरोप लगाया गया है।
उन्हें चार दिसंबर, 2024 को मकोका मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसी दिन एक अधीनस्थ अदालत ने उन्हें कथित जबरन वसूली के मामले में जमानत दी थी।
निचली अदालत ने 15 जनवरी को बाल्यान को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
निचली अदालत के समक्ष दिल्ली पुलिस ने बाल्यान की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि मामले की जांच एक महत्वपूर्ण चरण में है और अगर जमानत दी जाती है, तो आरोपी जांच में बाधा डाल सकता है।
अभियोजन पक्ष ने दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में कथित गिरोह सदस्यों के खिलाफ दर्ज 16 प्राथमिकियों का हवाला दिया और दावा किया कि इसने ‘समाज में तबाही मचा दी है और भारी मात्रा में अवैध संपत्ति अर्जित की है।’
भाषा राजकुमार माधव
माधव

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