​बिना कारण बिजली गोल हुई तो पैसे देगी मोदी सरकार, नई बिजली नीति में ग्राहकों के हित में ये हैं प्रावधान

​बिना कारण बिजली गोल हुई तो पैसे देगी मोदी सरकार, नई बिजली नीति में ग्राहकों के हित में ये हैं प्रावधान

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  • Publish Date - September 1, 2019 / 01:31 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

नईदिल्ली। बिजली मंत्रालय ने नई बिजली दर नीति का मसौदा मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा है और इसे जल्दी ही मंजूरी मिल सकती है। प्रस्तावित बिजली-दर नीति के तहत प्राकृतिक आपदा या तकनीकी कारणों को छोड़कर अगर बिजली कटौती की जाती है तो संबंधित वितरण कंपनियों को हर्जाना देना होगा और इसकी धन राशि सीधे ग्राहकों के खाते में जाएगी।

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नई प्रशुल्क नीति मंत्रिमंडल को भेजी जा चुकी है और इसे जल्दी ही मंजूरी मिल सकती है। नई नीति में जुर्माने का प्रावधान है, जुर्माने का निर्धारण राज्य विद्युत नियामक आयोग करेगा। प्रस्तावित प्रशुल्क नीति के तहत बिजली वितरण कंपनियों के लिये गुणवत्तापूर्ण सातों दिन 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। प्राकृतिक आपदा/तकनीकी कारणों/पूर्व सूचना के अनुसार रखरखाव कार्यों को छोड़कर अगर बिजली कटौती की जाती है तो संबंधित वितरण कंपनियों को जुर्माना देना होगा और यह जुर्माना सीधे ग्राहकों के खाते में जाएगा।

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उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में अपने बजट भाषण में एक देश एक ग्रिड का लक्ष्य हासिल करने के लिये संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया था। सीतारमण ने कहा था, हम क्रॉस सब्सिडी प्रभार, खुली बिक्री पर अवांछनीय शुल्क या औद्योगिक और बिजली के अन्य उपभोक्ताओं के लिये कैप्टिव उत्पादन (निजी उपयोग के लिये) जैसे अवरोधों को हटाने के लिये राज्य सरकारों के साथ काम करेंगे। इन संरचनात्मक सुधारों के अलावा प्रशुल्क नीति में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता है।

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नीति में गुणवत्तापूर्ण बिजली देने की बात है, यानी वोल्टेज में उतार-चढ़ाव जैसी समस्याओं से निजात मिलेगी। ट्रांसफर्मर में गड़बडी जैसी समस्याआं को निश्चित समयसीमा के भीतर दूर करना अनिवार्य होगा। नई प्रशुल्क नीति में अन्य बातों के अलावा बिजली सब्सिडी सीधे ग्राहकों के खातों में देने का भी प्रावधान किया गया है। यानी अगर राज्य सरकारें सस्ती बिजली देने की घोषणा करती हैं तो उन्हें सब्सिडी वितरण कंपनियों के बजाए सीधे ग्राहकों के खातों में भेजनी होगी। यदि ग्राहक ज्यादा बिजली बचाते हैं तो ज्यादा सब्सिडी मिलेगी।

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साथ ही नई नीति में अगले तीन साल में स्मार्ट/प्रीपेड मीटर लगाने का भी प्रावधान होगा। जिसे ग्राहक मोबाइल फोन की तरह जरूरत के अनुसार रिचार्ज करा सकेंगे। इससे जहां एक तरफ बिजली बचत को प्रोत्साहन मिलेगा वहीं वितरण कंपनियों की वित्तीय सेहत भी अच्छी होगी।

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