Sex work is not illegal!

‘देह व्यापार अपराध नहीं, खुले में…’ कोर्ट ने युवती को किया रिहा

Sex work is not illegal! पब्लिक प्लेस पर सेक्स वर्क अपराध की श्रेणी में आएगा लेकिन... मुंबई कोर्ट की अहम टिप्पणी

Edited By :   Modified Date:  May 23, 2023 / 12:32 PM IST, Published Date : May 23, 2023/12:32 pm IST

Sex work is not illegal!: मुंबई। सेक्स वर्कर से जुड़े एक मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने एक अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि सेक्स वर्क कोई अपराध नहीं है लेकिन अगर इसे पब्लिक प्लेस (सार्वजानिक जगह) पर किया जाए, जिससे अन्य लोगों को तकलीफ हो या उन्हें गलत लगे तो यह एक अपराध की श्रेणी में आएगा। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने एक 34 साल की महिला (सेक्स वर्कर) को नजरबंदी से रिहा करने का आदेश दिया है।

वेश्यवृत्ति के आरोप में थी गिरफ्तार

Sex work is not illegal!: दरअसल इसी साल फरवरी के महीने में मुंबई के मुलुंड इलाके में एक पुलिस रेड के दौरान एक महिला को वेश्यावृत्ति के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। महिला को तब स्थानीय मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया था। अदालत ने महिला को एक साल के लिए मुंबई स्थित देवनार के सुधारगृह भेजने का आदेश दिया गया था। अदालत ने कहा था कि महिला को एक साल तक सुधारगृह में रखा जाए। ताकि उसकी उचित देखभाल की जा सके। मजिस्ट्रेट कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ महिला ने मुंबई सत्र न्यायालय में गुहार लगाई थी।

हर नागरिक को आर्टिकल 19 का अधिकार

Sex work is not illegal!: सत्र न्यायालय ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि आर्टिकल 19 के तहत एक नागरिक का अधिकार है कि वह देश के किसी भी कोने में स्वच्छंद रूप से घूम फिर सके और कहीं भी रह सके। इस मामले में अदालत ने कहा कि महिला वयस्क हैं और भारत की नागरिक हैं। ऐसे में यह उनका अधिकार है कि वह कहीं भी रह सके और कहीं भी आ जा सकें। उन्हें ऐसा करने से रोकना आर्टिकल 19 द्वारा दिए गए अधिकारों का हनन होगा। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस की रिपोर्ट से यह नहीं लगता है कि महिला पब्लिक प्लेस पर वेश्यावृत्ति में लिप्त थी। यह महिला का अधिकार है कि वह कहीं भी रहें और कहीं भी आ जा सकें।

सेक्स वर्कर्स के भी मौलिक अधिकार होते हैं

Sex work is not illegal!: अदालत ने कहा कि महिला को उसके काम और पुराने जीवन के आधार पर बिना उसकी इच्छा के विपरीत नजरबंद रखना ठीक नहीं हैं। पीड़िता के दो बच्चे हैं जिन्हें उनकी मां की जरुरत है। जज ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का भी हवाला दिया है। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट रूप से राज्य सरकारों को यह आदेश दिया कि वह एक सर्वे करें साथ ही इच्छा के विपरीत सुधारगृह में रखी गयी सेक्स वर्कर्स (जो वयस्क हों) रिहा करें। आजादी के साथ रहना उनका भी मौलिक अधिकार है, जिसका किसी भी तरह से हनन नहीं किया जा सकता है।

शेल्टर होम में थी महिला

Sex work is not illegal!: पीड़िता ने बताया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी सहित तीन पीड़ितों (जिसमें से एक मैं भी थी) को मझगांव कोर्ट में पेश किया गया। इसके बाद हमारी उम्र की जांच के लिए ले जाया गया। इसी बीच हमारी कस्टडी बढ़ा दी गई। इसके बाद मजिस्ट्रेट ने पुलिस से रिपोर्ट मांगी जिसमें सभी पीड़ित महिलाओं को बालिग बताया गया। हालांकि, दो महिलाओं को छोड़ दिया गया जबकि मुझे बीते एक साल के लिए देवनार के शेल्टर होम भेज दिया गया।

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