नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी लिखने आती है भाग्य….

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी लिखने आती है भाग्य....

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  • Publish Date - September 26, 2017 / 05:02 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 09:01 PM IST

महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था, इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं. और नवरात्रि के षष्ठम दिन इनकी आराधना होती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है। यह अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं। इनकी चार भुजायें भक्तों को वरदान देती हैं, इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल है। चन्द्रहास नामक तलवार के प्रभाव से जिनका हाथ चमक रहा है, श्रेष्ठ सिंह जिसका वाहन है, ऐसी असुर संहारकारिणी देवी हैं कात्यायनी। भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए कालिंदी यमुना नदी के किनारे पर जाकर बृज की गोपिकाओं ने भी मां कात्यायनी की पूजा कि थी। मां कात्यायनी देवी की पूजा करने से विवाह का योग जल्दी बनता है और योग्य वर की प्राप्ति होती है। षष्ठी देवी बालकों की रक्षिता और आयुप्रदा देवी हैं. षष्ठी देवी वंश विकास और रक्षा की देवी हैं. जन्म के छठे दिन मां कात्यायनी देवी भाग्य लिखने आती हैं. मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं. इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है।

 

मां कात्यायनी की पूजा विधि –

छठे दिन मां कात्यायनी जी की पूजा में सर्वप्रथम कलश और गणपति की पूजा करें फिर माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें, इनकी पूजा के पश्चात देवी कात्यायनी जी की पूजा की जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करें और  ओम देवी कात्यायानाई नमः इस मंत्र का जाप 108 बार जाप करें। 

 

देवी कात्यायनी के मंत्र – 

 

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

देवी मां कात्यायनी स्तोत्र का पाठ और देवी मां कात्यायनी के कवच का पाठ भक्त को अवश्य रूप करना चाहिए, नवरात्री में देवी मां दुर्गा सप्तशती पाठ का किया जाना भक्तों के लिए बेहद लाभ दायक सिद्ध होता है।