पीएमएलए के प्रावधानों की व्याख्या से जुड़ी याचिकाओं पर समग्र दृष्टिकोण की जरूरत: उच्चतम न्यायालय

पीएमएलए के प्रावधानों की व्याख्या से जुड़ी याचिकाओं पर समग्र दृष्टिकोण की जरूरत: उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - January 27, 2022 / 06:47 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:38 PM IST

नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ खास प्रावधानों की व्याख्या से जुड़ी याचिकाओं के एक समूह में उठाये गये मुद्दों पर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी रविकुमार की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि याचिकाओं में उठाये गये मुद्दे का यथाशीघ्र समाधान करना होगा क्योंकि किसी ना किसी रूप में कई सारे अभियोजन प्रभावित हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘ये सभी मामले एक साथ हैं। हमें एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। सभी मामले एक साथ सूचीबद्ध किये जाएं।’’

पीठ ने यह टिप्पणी कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के यह कहने पर की, कि वह विषय में दलील देने के लिए वक्त ले रहे हैं क्योंकि यह मुद्दा लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है।

पीठ ने कहा कि इसका शीघ्र समाधान किये जाने की जरूरत है।

सिब्बल ने कहा कि उस अधिनियम की एक व्याख्या नहीं हो सकती जो अपराध से संबद्ध हो। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के कई फैसलों में कहा गया है कि व्याख्या विधान के मुख्य प्रावधान की जगह नहीं ले सकती।

उल्लेखनीय कि इन याचिकाओं में से कुछ के जरिए पीएमएलए के कुछ खास प्रावधानों को चुनौती दी गई है।

भाषा

सुभाष अनूप

अनूप