कोरोना वायरस के घातक स्वरूप के उभार का पूर्वानुमान व्यक्त करने के निए नयी विधि विकसित

कोरोना वायरस के घातक स्वरूप के उभार का पूर्वानुमान व्यक्त करने के निए नयी विधि विकसित

कोरोना वायरस के घातक स्वरूप के उभार का पूर्वानुमान व्यक्त करने के निए नयी विधि विकसित
Modified Date: November 29, 2022 / 07:55 pm IST
Published Date: February 26, 2021 11:47 am IST

नयी दिल्ली, 26 फरवरी (भाषा) वैज्ञानिकों ने एक नयी विधि विकसित की है जो नए कोरोना वायरस के विकास के क्रम के बारे में पूर्वानुमान व्यक्त कर सकती है तथा यह बता सकती है कि विषाणु का मौजूदा कौन सा स्वरूप भविष्य में व्यापक रूप से फैल सकता है। इससे टीका निर्माताओं को एंटीबॉडी को चकमा देने वाले घातक वायरस स्वरूपों से लड़ाई में अग्रिम मदद मिल सकती है।

‘बायोआरक्सिव’ मंच पर पोस्ट की गई अध्ययन रिपोर्ट की हालांकि अभी काफी समीक्षा करने की जरूरत होगी।

वैज्ञानिकों ने अध्ययन के दौरान कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन के 3,11,795 जीनोम अनुक्रमों की पड़ताल की।

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अनुसंधानकर्ताओं में औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से संबद्ध जीनोमिक एवं समेकित जीवविज्ञान संस्थान (आईजीआईबी), नयी दिल्ली की लिपि ठुकराल भी शामिल थीं।

उनके अनुसार जीनोम अनुक्रमों से स्पाइक प्रोटीन में 2,584 उत्परिवर्तनों का खुलासा हुआ।

स्पाइक प्रोटीन से ही वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने में सफल हो पाते हैं। प्रोटीन अमीनो अम्ल अणुओं की कड़ी से बने होते हैं।

ठुकराल और उनकी टीम पिछले साल जनवरी से ही अमीनो अम्ल अणुओं की कड़ी का अध्ययन करती रही है जिससे वायरस स्पाइक प्रोटीन के विभिन्न नमूने बनते हैं।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘पिछले एक साल से अधिक समय से इतने व्यापक जीवविज्ञान डेटा का विश्लेषण करते हुए हमने इस मुद्दे पर ध्यान दिया कि क्या वायरस उत्परिवर्तन का कोई प्रवाह है।’’

वैज्ञानिकों के अनुसार टीके आम तौर पर रोगाणुओं के प्रोटीन के खास हिस्सों के खिलाफ ही एंटीबॉडी उत्पन्न करते हैं और यदि इन हिस्सों का उत्परिवर्तन हो जाए तो एंटीबॉडी वायरस को लंबे समय तक प्रभावी ढंग से निष्क्रय करते नहीं रह सकतीं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस अध्ययन से न केवल वायरस के विकास के क्रम को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि टीकों को प्रभावी बनाने या नए टीके विकसित करने में भी मदद मिलेगी।

वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नयी विधि नए कोरोना वायरस के विकास के क्रम के बारे में पूर्वानुमान व्यक्त कर सकती है तथा यह बता सकती है कि विषाणु का मौजूदा कौन सा स्वरूप भविष्य में व्यापक रूप से फैल सकता है। इससे टीका निर्माताओं को एंटीबॉडी को चकमा देने वाले घातक वायरस स्वरूपों से लड़ाई में अग्रिम मदद मिल सकती है।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव


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