तिरुवनंतपुरम/कोझिकोड, 15 मई (भाषा) केरल महिला आयोग ने बुधवार को एक नवविवाहित महिला की उस शिकायत के संबंध में पुलिस की आलोचना की, जिसमें उसने पति पर दहेज के लिए बेरहमी से मारपीट करने और हत्या की कोशिश करने का आरोप लगाया था।
केरल महिला आयोग (केडब्ल्यूसी) की अध्यक्ष पी. सतीदेवी ने बताया कि जो पुलिस अधिकारी यह सोचते हैं कि पतियों को अपनी पत्नियों को शारीरिक नुकसान पहुंचाने का अधिकार है तो यह ‘बल का अपमान हैं’।
उन्होंने केरल पुलिसकर्मियों के लिए लैंगिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया।
सतीदेवी ने राज्य की राजधानी में संवाददाताओं से कहा कि कल केरल महिला आयोग को पीड़िता की ओर से एक शिकायत मिली, जिसके बाद पंथिरनकावु पुलिस थाना प्रभारी को इस मामले का विवरण जानने के लिए बुलाया गया।
पंथिरनकावु में ही दूल्हे का परिवार रहता है।
सतीदेवी ने कहा, ”हमें जो शिकायत मिली है उसमें महिला ने ससुराल पक्ष पर उसके साथ क्रूरता करने के गंभीर आरोप लगाए हैं और उसे इस सिलसिले में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन जब वह पुलिस से इसकी शिकायत करने पहुंची तो उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया।”
उन्होंने कहा, ”इसके बजाय मुझे जो समझ में आया वह यह है कि पुलिस ने यह कहा कि महिला इस मामले को सुलझाए और इतनी क्रूरता का सामना करने के बावजूद अपने पति के साथ ही रहे।”
पुलिस के रुख की आलोचना करते हुए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा, ‘जो पुलिस अधिकारी यह सोचते हैं कि पतियों को अपनी पत्नियों को शारीरिक नुकसान पहुंचाने का अधिकार है तो यह बल का अपमान करना है।”
उन्होंने कहा कि उन्हें यह खबरों से पता चला कि जांच अधिकारी और उनकी टीम को बदल दिया गया। ‘‘यह सराहनीय कदम है।’’
सतीदेवी ने उस सामाजिक मानसिकता को भी बदलने का आह्वान किया जिसके कारण महिलाओं, विशेषकर शिक्षित महिलाओं को दहेज के लिए उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पढ़ी-लिखी महिलाओं को शादी से पहले और बाद में दहेज के कारण अत्याचार झेलना पड़ा है।
सतीदेवी ने कहा, ”अभी भी ऐसे लोग हैं जो महिलाओं को एक वस्तु और विवाह को व्यापारिक लेनदेन के रूप में देखते हैं। इस सोच को बदलने की जरूरत है। इसके लिए संबंधित कानूनों और नियमों में संशोधन करने की जरूरत है।’
इससे पहले दिन में ससुराल पक्ष ने इस आरोप से इनकार किया कि उन्होंने दहेज की मांग की थी।
दूल्हे की मां ने दावा किया कि उनकी बहू इस घर में रहने से इनकार कर रही थी और इसी बात पर दंपत्ति के बीच झगड़ा हुआ था। महिला ने एक टीवी चैनल को बताया, ”हमने कभी दहेज की मांग नहीं की क्योंकि हमें इसकी जरूरत नहीं है।”
इस बीच दुल्हन के पिता ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं है कि पंथीरनकावु पुलिस इस मामले में उचित जांच करेगी। उन्होंने दावा किया, ”वे (पुलिस) इस मामले को गंभीरता से नहीं लेंगे।”
उन्होंने कहा कि एर्नाकुलम जिले की पुलिस को इस मामले की जांच करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने आरोपी दूल्हे को कड़ी सजा देने की भी मांग की।
दुल्हन के पिता ने बताया, ”मैंने केरल के मुख्यमंत्री, महिला आयोग और अलुवा के पुलिस अधीक्षक को शिकायत भेजी और अपनी बेटी के लिए न्याय मांगा है।”
पुलिस ने इस मामले में आश्वासन दिया कि वह आरोपियों के खिलाफ हत्या के प्रयास का आरोप जोड़ेगी। दुल्हन के पिता ने कहा कि अगर ऐसा किया जाता है तो अच्छा होगा।
केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने दुल्हन और उसके परिवार के आरोप सामने आने और कई टीवी चैनल पर इनके प्रसारित होने के बाद मंगलवार को स्वत: मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए।
केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने कोझिकोड शहर के पुलिस आयुक्त को इस मामले की गहन जांच करने और 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
विवाहित महिला ने आरोप लगाया कि पांच मई को उनकी शादी हुई थी और एक हफ्ते बाद ही पति ने दहेज के लिए उसे बेरहमी से पीटा और जान से मारने का भी प्रयास किया।
कथित हमले की खबर फैलते ही राज्य की स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि पीड़िता को कानूनी सहायता सहित सभी मदद दी जाएगी।
उन्होंने नवविवाहित महिला पर हमले को क्रूर और अंतरात्मा को झकझोर कर देने वाला कृत्य करार दिया।
मंत्री ने कहा कि लोगों को ऐसे अपराध करने से रोकने के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने सिफारिश की कि समाज को दहेज और घरेलू हिंसा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने मामले में पुलिस की निष्क्रियता की आलोचना की और पूछा कि क्या वह पीड़ित के साथ है या अपराधियों के साथ है?
भाषा प्रीति मनीषा
मनीषा