एनजीटी ने उत्तराखंड को तीर्थयात्रियों को ले जाने वाले खच्चरों की अस्थायी वहन क्षमता तय करने को कहा

एनजीटी ने उत्तराखंड को तीर्थयात्रियों को ले जाने वाले खच्चरों की अस्थायी वहन क्षमता तय करने को कहा

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  • Publish Date - April 25, 2024 / 10:19 PM IST,
    Updated On - April 25, 2024 / 10:19 PM IST

नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बृहस्पतिवार को उत्तरखंड सरकार को निर्देश दिया कि वह महीने भर के अंदर तीर्थयात्रियों को ले जाने वाले खच्चरों की अस्थायी वहन क्षमता तय करे। ये खच्चर केदरानाथ, हेमकुंड साहिब, यमुनोत्री और गोमुख तीर्थयात्रा मार्ग पर यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाते हैं। एनजीटी संबंधित अधिकारियों से तीर्थयात्रियों को ले जाने वाले खच्चरों की वहन क्षमता तय करने के लिए एक साल में अध्ययन पूरा करने के लिए कहा है। एनजीटी उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें चार तीर्थ मार्गों पर पर्यावरण मानदंडों के बड़े पैमाने पर अनियमित उल्लंघन का दावा किया गया है जिसमें मार्ग पर अनियंत्रित खच्चरों के गोबर, अपशिष्ट या शवों का पाया जाना शामिल है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) ने तीर्थयात्रियों को ले जाने वाले खच्चरों की वहन क्षमता के बारे में अपनी रिपोर्ट दाखिल नहीं की, जबकि बोर्ड के वकील ने जनवरी में अधिकरण को दो महीने के भीतर इसे सकारात्मक रूप से दाखिल करने का आश्वासन दिया था। .

न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज़ अहमद की सदस्यता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों पर गौर किया कि तीर्थस्थलों को पर्यावरणीय क्षति से बचाने के लिए जल्द से जल्द ढुलाई क्षमता तय करने की आवश्यकता है। इस मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को तय की गई है। भाषा संतोष पवनेशपवनेश