नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में और इसके आसपास गंभीर वायु प्रदूषण के आरोपों को सत्यापित करने के लिए एक समिति का गठन किया है।
एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण ‘इनडोर’ के साथ-साथ बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) के मरीजों, चिकित्सकों और एम्स-दिल्ली के अन्य कर्मचारियों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है।
याचिका में दावा किया गया है कि वैधानिक और प्रशासनिक अधिकारी एम्स के आसपास वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहे हैं।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल की पीठ ने कहा, “हम संतुष्ट हैं कि इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है और तथ्यों को एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा सत्यापित किए जाने की आवश्यकता है। तदनुसार, हम सदस्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पुलिस उपायुक्त (यातायात), क्षेत्र मंडल या जिला वन अधिकारी (डीएफओ) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की अध्यक्षता में सात सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन करते हैं।”
पीठ ने कहा कि समिति के अन्य सदस्य दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), एम्स निदेशक या उनके नामित और वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल के नामित एक व्यक्ति होंगे। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल हैं।
एनजीटी ने कहा, “समिति स्थिति को सुधारने के लिए अपनी सिफारिशें दे सकती है। वह एक महीने के भीतर इस न्यायाधिकरण को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है।”
इस मामले में अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।
भाषा जितेंद्र संतोष
संतोष
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