आधार बनवाने को न समझें खेल, वर्ना केस हुआ तो नहीं मिलेगी बेल

आधार बनवाने को न समझें खेल, वर्ना केस हुआ तो नहीं मिलेगी बेल

आधार बनवाने को न समझें खेल, वर्ना केस हुआ तो नहीं मिलेगी बेल
Modified Date: November 29, 2022 / 08:24 pm IST
Published Date: January 27, 2018 8:18 am IST

आधार कार्ड बनवाना कितना ज़रूरी है, अब तक ये तो आप समझ ही चुके होंगे, क्योंकि बैंक खाता खुलवाना या जारी रखना हो या फिर मोबाइल सिम चालू रखना, बिना आधार के सब मुश्किल है। मामला इतने ही तक सीमित नहीं है, अगर किसी के पास आधार कार्ड नहीं है और किसी मामले में उसकी गिरफ्तारी हो जाए तो फिर जमानत भी नहीं हो सकती। जी हां, आरोप जमानती हो तो उस स्थिति में भी अगर आधार कार्ड नहीं है तो रिहाई नहीं हो सकेगी।

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छत्तीसगढ़ में एक आदिवासी को जमानत मिल गई, लेकिन वो जेल से रिहा नहीं हो पाया, क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं है। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां जमानत मिलने के बाद भी रिहाई नहीं मिल पा रही है क्योंकि बिलासपुर हाईकोर्ट ने ये स्पष्ट कर दिया है कि जमानत लेने वाले और जमानत देने वाले, दोनों के आधार कार्ड का सत्यापन होने तक रिहाई नहीं हो पाएगी। 

    

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बिलासपुर हाईकोर्ट ने जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उसमें फर्जी दस्तावेज से जमानत लेने के मामलों को रोकने के लिए जमानतदार को बॉंड के साथ अपना आधार कार्ड नंबर भी देना अनिवार्य कर दिया है। इसी तरह आरोपी को भी अपना आधार नंबर देना होगा। दस्तावेज और आधार कार्ड की जांच और सत्यापन के बाद ही अदालत रिहाई का आदेश जारी करेगी। हाईकोर्ट के इस फैसले के तहत ट्रायल कोर्ट में जमानत दस्तावेज के साथ आधार कार्ड की प्रति संलग्न करना ज़रूरी हो गया है। 

    

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अब विचाराधीन कैदियों के लिए मुश्किल ये है कि उनमें से कई के पास आधार कार्ड हैं ही नहीं, क्योंकि जेल में आधार कार्ड बनवाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसी तरह कई आरोपी ऐसे हैं, जिनके पास या जिनके जमानतदार के पास आधार कार्ड नहीं हैं, इनकी जमानत पर रोक लग गई है। कई मामलों में आरोपी और जमानतदार दोनों के पास अगर आधार कार्ड हैं भी, तो भी उन्हें कार्ड के सत्यापन तक रिहाई नहीं मिल सकती। इन समस्याओं को अदालत के सामने रखने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य बार काउंसिल की ओर बिलासपुर हाईकोर्ट से अपील भी की गई है।

 

वेब डेस्क, IBC24


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