किसानों के साथ आज की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया, आठ जनवरी को फिर वार्ताः तोमर

किसानों के साथ आज की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया, आठ जनवरी को फिर वार्ताः तोमर

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  • Publish Date - January 4, 2021 / 01:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:01 PM IST

नयी दिल्ली, चार जनवरी (भाषा) तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच सोमवार को सातवें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि वार्ता सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई, लेकिन किसान संगठन एक बिंदु पर अटके रहे जिससे कोई निर्णय नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि अब आठ जनवरी को फिर से वार्ता होगी।

बैठक के बाद संवादाताओं को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा ‘‘आज की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया। सरकार और किसान संगठनों के बीच आठ जनवरी को फिर से वार्ता होगी।’’

तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन में 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की।

तोमर ने कहा कि किसान संगठनों के कानून निरस्त करने की मांग पर अड़े रहने के कारण कोई रास्ता नहीं निकल पाया। उन्होंने हालांकि उम्मीद जताई कि अगली बैठक में इस मुद्दे का कुछ हल निकलेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस प्रकार की बातचीत हुई है उस प्रकार से अगली बैठक में सार्थक चर्चा होगी और हम लोग समाधान तक पहुंच पाएंगे।’’

तोमर ने कहा, ‘‘दोनों तरफ उत्सुकता है कि जल्दी से जल्दी समाधान निकले।

उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के समग्र हित को ध्यान में रखकर तीनों कानून बनाए हैं और किसानों के प्रति सरकार ‘‘संवेदनशील’’ है।

कृषि मंत्री तोमर ने किसानों का सरकार में विश्वास नहीं होने संबंधी आशंका से इनकार किया और कहा कि भरोसे के बिना किसान संगठन अगली बैठक के लिए सहमत नहीं होते।

ज्ञात हो कि किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के लिए आत विज्ञान भवन में किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सातवें दौर की वार्ता हुई।

वार्ता के दौरान किसान संगठनों के प्रतिनिधि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर कायम रहे जबकि सरकार भी इन कानूनों को निरस्त नहीं करने के रूख पर कायम है।

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में किसान कृषि संबंधी तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास प्रदर्शन स्थल पर भारी बारिश और जलजमाव एवं जबर्दस्त ठंड के बावजूद किसान डटे हुए हैं ।

गौरतलब है कि ये कानून सितबर 2020 में लागू हुए और सरकार ने इसे महत्वपूर्ण कृषि सुधार के रूप में पेश किया और किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला बताया ।

बैठक के दौरान सरकार ने तीनों कृषि कानूनों के फायदे गिनाये जबकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लेने पर जोर देते रहे ताकि नये कानून के बारे में उन आशंकाओं को दूर किया जा सके कि इससे एमएसपी और मंडी प्रणाली कमजोर होगा और वे बड़े कारपोरेट घरानों की दया पर होंगे ।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र पवनेश

पवनेश