भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांगों पर विचार के लिए कोई समय सीमा नहीं: सरकार

भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांगों पर विचार के लिए कोई समय सीमा नहीं: सरकार

भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांगों पर विचार के लिए कोई समय सीमा नहीं: सरकार
Modified Date: July 30, 2025 / 05:27 pm IST
Published Date: July 30, 2025 5:27 pm IST

नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में अधिक भाषाओं को शामिल करने की मांगों पर विचार करने के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की जा सकती क्योंकि वर्तमान में इसके लिए कोई निश्चित मानदंड नहीं है।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में उच्च सदन को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं को शामिल करने के लिए भावनाओं और आवश्यकताओं के प्रति सचेत है।

उन्होंने कहा कि भोजपुरी और राजस्थानी सहित कई भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग समय-समय पर उठती रही है। हालांकि, किसी भी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने पर विचार किए जाने हेतु कोई निश्चित मानदंड नहीं हैं।

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राय ने कहा कि बोलियों और भाषाओं का विकास एक गतिशील प्रक्रिया है, जो सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास से प्रभावित होती है, इसलिए भाषाओं के लिए ऐसा कोई मानदंड निर्धारित करना मुश्किल है जिससे उन्हें संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जा सके।

मंत्री ने कहा कि पाहवा समिति (1996) और सीताकांत महापात्रा समिति (2003) के माध्यम से इस तरह के निश्चित मानदंड विकसित करने के पूर्वगामी प्रयास अनिर्णायक रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं को शामिल करने से संबन्धित भावनाओं और आवश्यकताओं के प्रति सचेत है। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने पर विचार किए जाने हेतु कोई निश्चित मानदंड वर्तमान में निर्धारित नहीं हैं, इसलिए संविधान की आठवीं अनुसूची में और अधिक भाषाओं को शामिल करने की मांगों पर विचार करने के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की जा सकती।

भाषा अविनाश माधव

माधव


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