सिर्फ कांग्रेस कर सकती है खून से खेती, नरेंद्र सिंह तोमर के इस बयान पर दिग्गी बोले- गोधरा में जो हुआ वो पानी की खेती थी या खून की?

सिर्फ कांग्रेस कर सकती है खून से खेती, नरेंद्र सिंह तोमर के इस बयान पर दिग्गी बोले- गोधरा में जो हुआ वो पानी की खेती थी या खून की?

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  • Publish Date - February 5, 2021 / 01:04 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:51 PM IST

नई दिल्लीः मोदी सरकार के कृषि कानून को लेकर एक ओर जहां दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। वहीं दूसरी ओर देश के उच्च सदन राज्यसभा में कृषि कानून को लेकर चर्चा जारी है। सदन में आज चर्चा के दौरान आज केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इन कानूनों में कोई खराबी है।

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सदन में नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि किसान और विपक्ष के नेता अभी तक कृषि कानूनों में कमी नहीं बता सके हैं। सबको मालूम है कि खेती के लिए पानी की जरूत होती है। लेकिन सिर्फ कांग्रेस ही है जो खून से खेती करना जानती है। बीजेपी ऐसा कभी नहीं कर सकती।

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वहीं, नरेंद्र सिंह तोमर की बातों का जवाब देते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि बीजेपी सांप्रदायिक दंगे भड़काती है। गोधरा में जो हुआ वो खून की खेती थी या पानी की खेती थी। बीजेपी नफरत की राजनीति करती आई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने किसानों के साथ बात करने के लिए 2 मंत्री लगाए। नरेंद्र सिंह तोमर जिनके पास खेती ही नहीं तो वो किसानी क्या जानते होंगे। दूसरे पीयूष गोयल जो कॉर्पोरेट सेक्टर के प्रवक्ता हैं।

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इससे पहले नरेंद्र सिंह तोमर से कहा कि कुछ एक राज्यों के किसानों को गलत जानकारी दी गई। जिसके चलते वे आंदोलन कर रहे हैं। उन्हें भड़काया जा रहा है। उन्हें ये बताया जा रहा है कि नए कृषि कानून लागू होने से किसानों की खेत छीन ली जाएगी, लेकिन इन कानूनों में ऐसा कही भी नहीं लिखा गया है। मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि सरकार संशोधन करने के तैयार है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कानून खराब हैं। किसानों का ये आंदोलन कुछ राज्यों तक ही सीमित है। सरकार किसानों की भलाई करना चाहती है और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए ये कानून लाई है।

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विपक्ष ने सरकार से कहा है कि कानूनों को अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं और किसानों को दुश्मन न समझें। बता दें कि सरकार और आंदोलन कर रहे किसानों के बीच गतिरोध खत्म नहीं हो सका है। एक ओर किसान कानून वापसी चाहते हैं वहीं सरकार किसानों को संशोधन से ज्यादा कुछ देना नहीं चाहती है।

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