विपक्ष ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह विफल बताया, सत्तापक्ष ने हर क्षेत्र में विकास की बात कही
विपक्ष ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह विफल बताया, सत्तापक्ष ने हर क्षेत्र में विकास की बात कही
नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने सोमवार को मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के पूरी तरह विफल होने का दावा किया तथा आर्थिक विकास दर मापने की नयी पद्धति पर सवाल खड़े किये।
कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने लोकसभा में वर्ष 2025-26 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगें-प्रथम बैच और संबंधित विनियोग (संख्याक 4) विधेयक, 2025 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये का न्यूनतम स्तर पर जाना भारतीय अर्थव्यवस्था की बदहाली और कुशासन को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत होने का दावा करती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने विकास दर मापने की भारतीय पद्धति को ‘सी’ श्रेणी का करार दिया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने एक डॉलर की कीमत 58 रुपये तक गिर जाने पर तत्कालीन संप्रग सरकार की आलोचना की थी, लेकिन आज एक डॉलर की कीमत 90 रुपये के न्यूनतम स्तर पर आ गयी है, तो मोदी इसे क्या कहेंगे?
वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार ने हाल में आर्थिक विकास दर के आठ प्रतिशत से ऊपर रहने की घोषणा की थी, लेकिन आईएमएफ ने इसे ‘सी’ श्रेणी की पद्धति करार दिया है।
उन्होंने केरल में सड़क, पुल आदि अवसंरचना की खस्ता हालत का जिक्र करते हुए कहा कि इनके निर्माण में धांधली हुई है और इसकी जांच की जानी चाहिए।
इससे पहले, समाजवादी पार्टी के नीरज मौर्या ने शुक्रवार को अधूरी रही चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि देश में ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों, स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छ पेयजल आदि की स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन बजट में पर्याप्त बंदोबस्त नहीं किया गया है।
मौर्या ने कहा कि यदि सांसद अपने क्षेत्र में यह सारा काम कराना भी चाहें तो उनके पास विकास निधि महज पांच करोड़ रुपये है, जो बहुत ही कम है। उन्होंने ‘सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास’ (एमपीलैड) निधि को बढ़ाने की सरकार से मांग की।
सपा सांसद ने उत्तर प्रदेश में किसानों की दयनीय स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि राज्य में किसानों का हाल बुरा है। उन्होंने कहा, ‘‘किसान अपनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग को लेकर दर-दर भटक रहे हैं।’’
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारत को ‘डैड’ अर्थव्यवस्था बताया है और आईएमएफ ने विकास दर मापने की भारतीय पद्धति को ‘सी’ श्रेणी का करार दिया है और सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।
उन्होंने भारतीय मुद्रा के अन्य देशों की मुद्रा की तुलना में पिछड़ने और संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक में भारत के 134वें स्थान पर रहने का दावा किया और इसे लेकर सरकार की आलोचना की।
राय ने पश्चिम बंगाल को मनरेगा की राशि से वंचित रखे जाने का आरोप लगाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की आलोचना की और कहा वित्त मंत्री न जाने क्यों, बंगाल को मनरेगा की राशि से वंचित कर रही हैं। उन्होंने दावा किया कि केंद्र पर राज्य का दो लाख करोड़ रुपये मनरेगा का बकाया है।
चर्चा में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के टीआरबालू ने भी हिस्सा लिया।
इस बीच जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) के आलोक कुमार सुमन
ने मोदी सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था के तेजी से विकसित होने, बैंकों के मजबूत होने, चालू घाटा कम होने तथा तकनीक के क्षेत्र में पर्याप्त विकास होने का दावा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘मेड इन इंडिया’ प्लेटफॉर्म पर 6जी पर काम कर रहे है। सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के कई मानकों को हमने बहुत पहले पूरा कर लिया है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने विकास विरोधी बाधाओं को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किये हैं तथा वैश्विक जटिलताओं के बावजूद कारोबार सामान्य हुआ है।
सुमन ने कहा कि भारत सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में खुद तो तरक्की कर ही रही है, दुनिया के अन्य देशों की भी मदद कर रही है।
तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) के केसिनेनी शिवनाथ ने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश में सत्ता में रही पार्टी वाईएसआरसीपी चिकित्सा महाविद्यालयों के निर्माण का विरोध करती है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा, चिकित्सा, रक्षा, सड़क परिवहन आदि की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता सफलता की कहानी बयां करती है।
भाषा सुरेश सुरेश वैभव
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