प्रदेश में लागू हुई OPS, फिर भी सरकार से खुश नहीं प्रदेश के कर्मचारी, ये हैं 15 कारण |

प्रदेश में लागू हुई OPS, फिर भी सरकार से खुश नहीं प्रदेश के कर्मचारी, ये हैं 15 कारण

राजस्थान के कर्मचारियों की जो 15 सूत्रीय मांगे हैं हम उन्हें यहां बिंदुवार तरीके से रख रहे हैं। OPS implemented in the state, yet the employees of the state are not happy with the government, these are 15 reasons

Edited By :   Modified Date:  January 25, 2023 / 11:52 AM IST, Published Date : January 25, 2023/11:49 am IST

employee angry with Ashok Gehlot Govt

जयपुर। राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी है, बावजूद इसके प्रदेश के लाखों कर्मचारी सरकार से खुश नहीं है। यही कारण था कि बीते सोमवार को 23 जनवरी को प्रदेश के हजारों कर्मचारियों ने जयपुर में एक बड़ा पड़ाव डाल दिया। कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों का आरोप है कि पिछले 4 साल में सरकार ने कभी भी कर्मचारी संगठनों के साथ बातचीत करने की कोशिश नहीं की। दरअसल, कर्मचारी लंबे समय से यह मांग करते रहे हैं कि ‘दिल्ली हो या राजस्थान वेतन भत्ते एक समान’ का सिद्धांत लागू होना चाहिए।

राजस्थान में राज्य सरकार के कर्मचारियों और केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन भत्तों में बहुत ज्यादा अंतर है। यहां ग्रेड पे और पदोन्नति को लेकर कई विसंगतियां हैं , जिन्हे दूर करने के लिए वे सरकार से मांग करते रहे हैं। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के के अनुसार राज्य कर्मचारी सरकारी योजनाओं की क्रियांवन्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकी अनदेखी करना सरकार को भारी पड़ सकता है।

ये हैं राज्य कर्मचारियों की 15 सूत्री मांगें

राजस्थान के कर्मचारियों की जो 15 सूत्रीय मांगे हैं हम उन्हें यहां बिंदुवार तरीके से रख रहे हैं।

जनवरी 2019 से माह जून 2021 तक का महगाई भत्ते के एरियर का नकद भुगतान

मांग-1 (अ) :- राज्य सरकार, बोर्ड, निगम, स्वायत्तशापी संस्थाओं पंचायतीराज एवं सहकारी संस्थाओं में कार्यरत कार्मिकों के लिये समान काम, समान वेतन की नीति लागू कर, पूर्व के वेतनमानों में उत्पन्न विभिन्न विसंगतियों का निराकरण कर कार्मिकों का न्यूनतम वेतन रु. 26 हजार निर्धारित करते हुए और केन्द्रीय वेतनमान के समस्त परिलाभ (वेतन) एवं भत्ते) लागू किये जायें। साम त कमेटी की सिफारिशों को सार्वजनिक किया जावें। साथ ही सामन्त कमेटी की सिफारिशों को सार्वजनिक किये बिना वेतन विसंगति निराकरण के नाम पर नवगठित श्री खेमराज समिति को भंग किया जाए।

(ब) राज्य सरकार की अधिसूचना दिनांक 30.10.2017 द्वारा अनुसूची-5 (Schedule-V) में किये गये संशोधनों (मूल वेतन कटौती) को निरस्त कर वित्त विभाग की ओर से पूर्व में जारी अधिसूचना दिनांक 28.06.2013 के अनुसूची-5 (Schedule-V) में ग्रेड पे के अनुसार निर्धारित मूल वेतन (Entry Basic Pay) के आधार पर ही Entry Pay (मूल वेतन) देते हुए Pay Matrix निर्धारित की जाए।

(स) बोर्ड, निगम, स्वायत्तशाषी संस्थाओं, पंचायतीराज एवं सहकारी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों को पूर्व की भांति राज्य कर्मचारियों के अनुरूप 01 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग सहित अन्य परिलाभ दिये जाए।

(द) माह जनवरी 2019 से माह जून 2021 तक का महगाई भत्ते के एरियर का नकद भुगतान किया जाए।

न्यूनतम वेतन 18 हजार, रिक्त पदों पर भर्ती

मांग संख्या 2 :- नवीन भर्ती सेवा नियम-2006 को प्रत्याहारित किया जावें। नवीन पेंशन नियम-2004 को समाप्त कर पूर्ववर्ती व्यवस्था पुन लागू किये जाने हेतु PFRDA बिल वापस लेने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिश की जाए।

मांग संख्या 3 :- राज्य कर्मचारी, बोर्ड, निगम, पंचायतीराज एवं स्वायत्तशाषी संस्थाओं के कार्मिकों को सेवाकाल में 5 पदोन्नति के अवसर दिये जायें एवं समयबद्ध पदोन्नति (DPC) की जायें। पदोन्नति नहीं होने की स्थिति में 7.14, 21, 28 एवं 32 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति के पद का वेतनमान स्वीकृत किया जाए।

मांग-4 (अ) राजस्थान सरकार द्वारा 11 जनवरी 2022 को जारी संविदा नियम 2022 को प्रत्याहारित (Withdraw) करराजस्थान सरकार के अधीन संविदा, ठेकाकर्मी, समेकित वेतन पर कार्यरत, आंगनबाडी कार्यकर्ताओं, आशा सहयोगी, सहायिका, साथिन, होमगार्ड कर्मी, वन मित्र, कृषक मित्र, मैन विद मशीन कर्मी, कम्प्यूटरकर्मी, नरेगाकर्मी, एनआरएचएम कर्मी, मिड-डे मील कर्मी (कुक कम हैल्पर), पंचायती राज के हैंड पम्प मिस्त्री, जनता जलकर्मी, पैराटीचर्स, 108 कर्मी, फार्मासिस्ट, पशुसेवा केन्द्र कर्मी, अटल सेवा केन्द्र कर्मी, विद्यार्थी मित्र, शिक्षाकर्मी, पंचायत सहायक, लोकजुम्बिश कर्मी, प्रेरक को नियमित कर समस्त परिलाभ राज्य कार्मिकों के अनुरूप स्वीकृत किये जायें। भविष्य में संविदा अथवा अस्थाई प्रक्रिया बन्द की जाए।
(ब) वर्कचार्ज कार्मिकों को पदोन्नति के अवसर सुलभ कराये जाए।

समस्त संवर्गों के रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती

मांग-5 (अ) राजस्थान सरकार के विभिन्न विभागों में समस्त संवर्गों के रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती की जावें। जनसंख्या एवं कार्यभार के अनुरूप नवीन पद सृजित किये जायें। वर्तमान में विभिन्न संवर्गों के स्वीकृत पदों की कटौती बन्द की जायें। विभिन्न संवर्गो में विभागीय सेवा नियमों में विद्यमान पदोन्नति के अवसरों को समाप्त नहीं किया जाए।

(ब) सहायक कर्मचारी को एम.टी.एस. घोषित करते हुए न्यूनतम वेतन 18 हजार किया जाये। साथ ही भर्ती पर अघोषित रोक को हटाकर रिक्त पदों पर भर्ती की जायें एवं पदौन्नति कोटा 50 प्रतिशत किया जाए।

(स) मंत्रालयिक कर्मचारियों को शासन सचिवालय अलोक सेवा आयोग एवं विधान सभा में कार्यरत मंत्रालयिकः कर्मचारियों के अनुरूप वेतन, भत्ते, पदोन्नति एवं अन्य सुविधाएँ प्रदान की जाए।

मूल वेतन का 10 प्रतिशत ग्रामीण भत्ता

मांग-6 :- ग्रामीण क्षेत्र के कार्मिकों को मूल वेतन का 10 प्रतिशत ग्रामीण भत्ता स्वीकृत किया जाए।

मांग संख्या 7 :- आश्रित अनुकम्पा नियुक्ति के मामलों में आवेदक को शैक्षणिक योग्यता के अनुरूप पदों पर नियुक्ति दी जायें। प्रशिक्षण एवं आयु में छूट प्रदान की जाए।

मांग संख्या 8 :- अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के घटक संगठनों (संवर्गो) के मांग-पत्रों पर सम्बन्धित विभाग के मंत्रीगणों, शासन सचिवों एवं विभागाध्यक्षों के साथ नियमित वार्ता हेतु कलेण्डर जारी किया जायें। संघों एवं राज्य सरकार के मध्य पूर्व में हुये समझौते / सहमतियों की क्रियान्विति की जाए।

मांग संख्या 9 :- वित्त विभाग राजस्थान सरकार के आदेश दिनांक 05 अक्टूबर 2018 में सामुहिक अवकाश को नो वर्क नो पे की श्रेणी में माना गया है जो कर्मचारियों के आंदोलन के अधिकार का हनन है। 05 अक्टूबर 2018 के आदेश को प्रत्याहारित (Withdraw ) किया जाए।

मांग संख्या 10 :- सरकार द्वारा कार्मिकों के स्वास्थ्य एवं उपचार हेतु जारी आर. जी. एच. एस. स्कीम के अन्तर्गत की जा रही कटौती को बंद किया जाए।

मांग संख्या 11 :- राजस्थान में बोर्ड, निगम एवं स्वायत्तशाधी संस्थाओं के कार्मिकों के मामलों में सरकार एवं महासंघ के मध्य हुए समझौते 1989 एवं 1997 को लागू किया जावे राज्य कार्मिको की भांति इन्हें पेंशन सहित अन्य परिलाभ लागू किये जाए।

निजीकरण/पी.पी.पी. मॉडल आधारित व्यवस्थाओं को समाप्त किया जायें

मांग संख्या 12 :- सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में निजीकरण/पी.पी.पी. मॉडल आधारित व्यवस्थाओं को समाप्त किया जाये। सावर्जजनिक उपक्रमों को कमजोर करने के स्थान पर सुदृढ किया जाए।

मांग संख्या 13 :- पुलिस सेवा के कार्मिकों एवं आपातकालीन सेवा के कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश देना सुनिश्चित किया जाये एवं इनका कार्यशील समय निर्धारित किया जावे। पुलिस कार्मिकों की समस्याओं के निराकरण के लिए उचित मंच / प्राधिकरण की पारदर्शी व्यवस्था की जाए।

मांग संख्या 14 :- बैंक/ बीमा की स्थानान्तरण नीति के अनुरूप राज्य कार्मिकों के लिए पारदर्शी एवं स्पष्ट स्थानान्तरण नीति लागू की जावें स्थानान्तरण में राजनैतिक हस्तक्षेप नही किया जाए।

मांग संख्या 15 (अ) :- राजस्थान में संगठित, असंगठित क्षेत्र, मैन विद मशीन (कम्प्यूटर ऑपरेटर) कार्मिकों / मजदूरों का न्यूनतम पारिश्रमिक रू. 26 हजार प्रतिमाह किया जाए।

(ब) विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष/शासन सचिवालय कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के लिए उनके कार्यालयों के समक्ष उचित स्थान उपलब्ध करवाये जाए।

(स) सरकार द्वारा कर्मचारी कल्याण परिषद का गठन कर महासंघ का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जायें। कर्मचारियों की व्यतिगत एवं सामूहिक समस्याओं का सम्पर्क पोर्टल के माध्यम से निराकरण किया जाए।

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