संसदीय समिति ने ऑरोविल फाउंडेशन को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने की सिफारिश की
संसदीय समिति ने ऑरोविल फाउंडेशन को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने की सिफारिश की
नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) एक संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि सरकार को पुडुचेरी स्थित ऑरोविल फाउंडेशन को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता देनी चाहिए।
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले सप्ताह संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘समिति सिफारिश करती है कि सरकार ऑरोविल फाउंडेशन अधिनियम, 1988 में संशोधन करने पर विचार करे, ताकि ऑरोविल को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता दी जा सके।’’
सिंह ने यह भी कहा कि यूनेस्को ने 1966 से इस परियोजना के समर्थन में कई प्रस्ताव पारित किए हैं और अंतरराष्ट्रीय समझ और शांति को बढ़ावा देने में इसके योगदान को मान्यता दी है।
भारत में राष्ट्रीय महत्व का संस्थान (आईएनआई) एक प्रमुख उच्च शिक्षा निकाय होता है, जिसे संसद के एक अधिनियम द्वारा ऐसा घोषित किया जाता है। ऐसे संस्थान कुशल पेशेवरों को तैयार करने और इंजीनियरिंग (आईआईटी, एनआईटी), चिकित्सा (एम्स) और प्रबंधन (आईआईएम) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में राष्ट्रीय विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑरोविल फाउंडेशन को केंद्र सरकार से वार्षिक अनुदान के रूप में आंशिक निधि प्राप्त होती है, जैसा कि ऑरोविल फाउंडेशन अधिनियम, 1988 में निर्धारित है। ये अनुदान शिक्षा मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक नगरी ऑरोविल की स्थापना, रखरखाव और विकास में सहायता के लिए प्रदान किए जाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘फाउंडेशन अपनी आय स्वयं भी उत्पन्न करता है, लेकिन सरकारी अनुदान अब भी इसके संचालन और परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। समिति का मानना है कि वार्षिक अनुदान के बजाय, फाउंडेशन को भविष्य में स्वयं को बनाए रखने के लिए पर्याप्त राशि प्रदान की जानी चाहिए।’’
यह देखते हुए कि विदेश मंत्रालय द्वारा ऑरोविल में रह रहे लोगों के लिए वीजा जारी करने की एक विशेष प्रक्रिया स्थापित की गई है, समिति ने सुझाव दिया कि फाउंडेशन में रहने वाले सभी लोगों के लिए पांच वर्षीय वीजा को मानक के रूप में बनाए रखना चाहिए।
भाषा संतोष दिलीप
दिलीप

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