असम में जमीन पर अतिक्रमण करने के लिए मणिपुर से भी आ रहे लोग : हिमंत

असम में जमीन पर अतिक्रमण करने के लिए मणिपुर से भी आ रहे लोग : हिमंत

असम में जमीन पर अतिक्रमण करने के लिए मणिपुर से भी आ रहे लोग : हिमंत
Modified Date: July 18, 2025 / 09:24 pm IST
Published Date: July 18, 2025 9:24 pm IST

गुवाहाटी, 18 जुलाई (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शुक्रवार को दावा किया कि मणिपुर जैसे दूर-दराज के राज्यों से लोग यहां आकर जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।

शर्मा ने वन भूमि सहित सभी अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों को खाली कराने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

उन्होंने यह भी कहा कि इन अतिक्रमणों की एक ‘योजना’ है और शुरू में मुट्ठी भर लोग पहले किसी इलाके में आकर बसते हैं, खेती शुरू करते हैं और जल्द ही दूसरों को लाकर एक बड़ी अवैध बस्ती बसा देते हैं।

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शर्मा ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, “लखीमपुर में, जहां हमने हाल ही में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था, वहां हमें मणिपुर के लोग मिले। आज, मणिपुर और नागांव (असम में) से 12 परिवार वहां पहुंचे थे। हो सकता है कि अतिक्रमणकारियों ने उन्हें पहले आने के लिए कहा हो लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि इस बीच अतिक्रमण हटाया जा चुका है।”

उन्होंने कहा कि जिला आयुक्त इन परिवारों को वापस भेजेंगे।

शर्मा ने कहा हालांकि अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान कई अतिक्रमणकारी ग्वालपाड़ा और आसपास के जिलों के होने का दावा करते हैं लेकिन वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल या बांग्लादेश के भी हो सकते हैं।

उन्होंने कहा, “पहले बांग्लादेशियों को घुसने से रोकने की कोई व्यवस्था नहीं थी। अब हम कड़ी निगरानी रख रहे हैं। कल ही हमने 16 अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ा है। हो सकता है कि इनमें से कई अतिक्रमणकारी बांग्लादेश से आए हों।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिक्रमणकारियों के राज्य के जिलों से न होने के संदेह के पीछे की वजह यह है कि ज्यादातर अतिक्रमणकारी 30-45 दिनों के भीतर ‘गायब’ हो जाते हैं।

शर्मा ने कहा कि अतिक्रमण शुरू करने का एक ‘तरीका’ है।

शर्मा ने लुमडिंग का उदाहरण देते हुए कहा, “हमें अदरक की खेती के बड़े-बड़े इलाके मिले। पहले, कुछ लोग एक जगह पर आते हैं और उसे चिह्नित करते हैं। फिर वे और लोगों को लाते हैं और खेती शुरू कर देते हैं।”

राज्य सरकार ने लुमडिंग में पहले अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था।

उन्होंने कहा कि गोलाघाट जिले के उरियमघाट में सुपारी की खेती या श्रीभूमि और हैलाकांडी जिलों में रबर की खेती में भी ऐसा ही चलन देखा गया है।

शर्मा ने उरियमघाट में अतिक्रमण हटाओ अभियान की तैयारी का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें चार-पांच महीने लगेंगे क्योंकि कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा और इस मामले में, नगालैंड को भी सूचित करना होगा क्योंकि यह इसाका अंतर-राज्यीय सीमा पर स्थित है।

उन्होंने कहा कि उरियमघाट में हजारों बीघा जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है और लगभग 500 परिवारों ने पूरे जंगल पर कब्जा कर रखा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि न केवल अधिकारी बल्कि स्थानीय राजनेता भी आबादी के 5,000-10,000 तक पहुंचने के बाद अवैध बस्तियों के बारे में कुछ नहीं करते क्योंकि यह वोट बैंक बन जाता है।

शर्मा ने मंगलवार को कहा था कि मई 2021 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 1,19,548 बीघा (160 वर्ग किमी) भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है, जिससे लगभग 50,000 लोग प्रभावित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य में 29 लाख बीघा वन भूमि सहित 63 लाख बीघा भूमि पर अब भी अतिक्रमण है।

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन


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