नयी दिल्ली, 23 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रखर समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (मरणोपरांत) से नवाजे जाने की घोषणा पर मंगलवार को खुशी व्यक्त की और कहा कि यह हाशिए पर पड़े लोगों के लिए एक योद्धा और समानता व सशक्तीकरण के दिग्गज के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है।
मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रकाशस्तंभ महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्म शताब्दी मना रहे हैं।’
मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी… pic.twitter.com/hRkhAjfNH3
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024
उन्होंने कहा, ‘यह प्रतिष्ठित मान्यता हाशिए पर पड़े लोगों के लिए एक योद्धा और समानता और सशक्तीकरण के दिग्गज के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
उन्होंने कहा, ‘यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि हमें एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है।’
कर्पूरी ठाकुर (24 जनवरी 1924 – 17 फरवरी 1988) भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था। कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है, में कुर्मी जाति में हुआ था।
जननायक के पिताजी का नाम गोकुल ठाकुर तथा माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा हल चलाने का काम करते थे।भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने 26 महीने जेल में बिताए थे। वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे। 2024 में भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा गया ।
वह सरल और सरस हृदय के राजनेता माने जाते थे। सामाजिक रूप से पिछड़ी किन्तु सेवा भाव के महान लक्ष्य को चरितार्थ करने वाले इस महानायक ने राजनीति को भी जन सेवा की भावना के साथ जिया। उनकी सेवा भावना के कारण ही उन्हें जन नायक कहा जाता था, वह सदा गरीबों के अधिकार के लिए लड़ते रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पिछड़ों को 12 प्रतिशत आरक्षण दिया । मुंगेरी लाल आयोग के तहत 1978 में ये आरक्षण दिया था, जिसमें 79 जातियां थी। जिसमें पिछड़ा वर्ग के 04% और अति पिछड़ा वर्ग के 08% दिया था।उनका जीवन लोगों के लिया आदर्श से कम नहीं।
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