प्रियंका को प्रधानमंत्री बनाकर देखिए, बांग्लादेश पर मोदी की तरह खामोश नहीं रहेंगी: इमरान मसूद

प्रियंका को प्रधानमंत्री बनाकर देखिए, बांग्लादेश पर मोदी की तरह खामोश नहीं रहेंगी: इमरान मसूद

प्रियंका को प्रधानमंत्री बनाकर देखिए, बांग्लादेश पर मोदी की तरह खामोश नहीं रहेंगी: इमरान मसूद
Modified Date: December 23, 2025 / 07:58 pm IST
Published Date: December 23, 2025 7:58 pm IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बांग्लादेश की स्थिति को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि अगर प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री बनीं, तो वह नरेन्द्र मोदी की तरह खामोश नहीं रहेंगी, बल्कि इंदिरा गांधी की तरह कार्रवाई करेंगी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मसूद के इस बयान को लेकर कटाक्ष किया और कहा कि अब राहुल गांधी पर कांग्रेस के लोगों को ही भरोसा नहीं है।

कारोबारी रॉबर्ट वाद्रा ने कहा कि उनकी पत्नी प्रियंका का राजनीति में उज्ज्वल भविष्य है और एक समय आएगा, जब लोग उन्हें शीर्ष पद पर देखना चाहेंगे।

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मसूद ने एक सवाल के जवाब में ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री हैं क्या? प्रियंका जी को प्रधानमंत्री बना दीजिए, वह प्रधानमंत्री (मोदी) की तरह पश्चिम बंगाल में जाकर बांग्लादेश के हिंदुओं की स्थिति पर खामोश नहीं रहेंगी। प्रियंका गांधी असम में जाकर भी बांग्लादेश में हिदुओं पर हो रहे अत्याचार पर चुप नहीं रहेंगी।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री बनाकर देखिए कि वह कैसे इंदिरा गांधी की तरह जवाब देकर आएंगी। बांग्लादेश भारत-विरोधी अड्डा बन रहा है, आप (मोदी) कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। न आप कूटनीतिक जवाब देना जानते हैं और न वैसे जवाब देना जानते हैं।’’

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने मसूद के बयान को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल गांधी परेशान हैं, क्योंकि ‘‘वह जो कहते हैं, उनकी पार्टी के सहयोगी खुद ही उसे खारिज कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि इसका ताजा उदाहरण शशि थरूर हैं, जिन्होंने पिछले 20 वर्षों में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की ओर से किए गए कार्यों की सराहना करके ‘वोट-चोरी’ संबंधी दावे की हवा निकाल दी।

पूनावाला ने कहा, “कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्हें अब राहुल गांधी पर भरोसा नहीं है और उन्होंने उनकी जगह प्रियंका गांधी वाद्रा को लाने की मांग की है। इसके बाद रॉबर्ट वाद्रा का भी समर्थन आया, जिन्होंने कहा-हां, यह सही है।’’

भाषा

हक हक पारुल

पारुल


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