राफेल डील, जेपीसी जांच की मांग जेटली ने की खारिज, कहा- कांग्रेस झूठ फैलाने के प्रयास में विफल रही

राफेल डील, जेपीसी जांच की मांग जेटली ने की खारिज, कहा- कांग्रेस झूठ फैलाने के प्रयास में विफल रही

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  • Publish Date - December 16, 2018 / 02:08 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:54 PM IST

नई दिल्ली। राफेल डील पर सु्प्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। एक ओर विपक्ष जहां इस मसले पर अटॉर्नी जनरल के खिलाफ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन लाने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने डील की जेपीसी जांच की मांग खारिज कर दी है। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि न्यायालय का निर्णय अंतिम है और उसके बाद कैग की राय का कोई मतलब नहीं रह जाता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस झूठ फैलाने के अपने पहले प्रयास में विफल रही और अब न्यायालय के निर्णय पर नए झूठ गढ़ रही है।

फेसबुक पर अपने लेख में ‘राफेल- झूठ, थोड़े समय तक चला झूठ तथा आगे और झूठ? शीर्षक से उन्होंने लिखा कि उच्चतम न्यायालय ने इस पर अंतिम शब्द कह दिया है और उससे इसकी वैधता सिद्ध हो चुकी है। कोई राजनीतिक निकाय उच्चतम न्यायालय के निष्कर्ष के उलट निष्कर्ष नहीं निकाल सकता। उच्चतम न्यायालय के फैसले में इस ‘अस्पष्टता के दावे पर कि इस विषय की समीक्षा कैग (नियंत्रक एवं महालेखारीक्षक) ने कर ली है और अब यह संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को भेजा गया है। इस पर जेटली ने कहा कि रक्षा सौदे आडिट के लिए कैग के पास जाते हैं और जो अपनी रपट पीएसी के लिए भेजता है।

जेटली ने आगे लिखा है कि इस बात को सरकार ने तथ्यात्मक रूप से और पूरी तरह सही ढंग से सर्वोच्च अदालत के समक्ष रखा था। राफेल की आडिट जांच कैग के समक्ष लंबित है। उसके साथ सभी तथ्य साझा किए गए हैं। जब कैग की रिपोर्ट आएगी तो उसे पीएसी को भेजा जाएगा। इसके बावजूद यदि अदालत के आदेश में किसी तरह की विसंगति है, तो कोई भी न्यायालय के समक्ष उसे ठीक करवाने के लिए अपील कर सकता है।

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गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले चार दिन राफेल और अन्य मुद्दों पर हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। जेटली ने कहा कि कांग्रेस संसद के शेष सत्र में राफेल पर चर्चा के बजाय हंगामा करना चाहेगी। उच्चतम न्यायालय में राफेल मामले में कांग्रेस याचिकाकर्ता नहीं थी। कांग्रेस चाहती है कि राफेल मामले की जांच के लिए जेपीसी बनाई जाए ताकि भाजपा सरकार ने जिस कीमत पर लड़ाकू जेट विमान खरीदने का करार किया है उसकी तुलना कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान इन विमानों की कीमत पर हुई बातचीत से की जा सके।