गुजरात में पिछले दो दशकों से सत्ता का सूखा झेल रही कांग्रेस राहुल गांधी को उस अमृत वर्षा की तरह देख रही है जिससे सत्ता की हरियाली प्राप्त की जा सकती है। मोदी और अमित शाह जैसे करिश्माई चहरों का गांधीनगर से दिल्ली मंे जा बसना, पाटीदार आंदोलन और लंबे समय से सत्ता में परिवर्तन नहीं होने से उपजे असंतोष से कांग्रेस गुजरात माॅडल के नाम से देश में बनी मोदी लहर को तोड़ना चाहती है।
देश में बढ़ती बेरोजगारी और असहिष्णुता विकास के लिए बड़ा खतरा
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गुजरात दौरे के सियासी मायने तो यही निकल रहे हैं। वहीं द्वारका में कृष्ण दर्शन कर अपने मिशन की शुरूआत करना कहीं न कहीं कांग्रेस की उस नीति को तोड़ते नजर आ रहा है जो किसी विशेष वर्ग को साधने के लिए किसी प्रदेश में इस तरह चुनावी बिगुल फूंकने से बचती रही है। मंदिर में पूजा के बाद रोड शो में राहुल गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा की नरेंद्र मोदी देश की बेरोजगारी दूर करने आए थे लेकिन पहले नोटबंदी से फिर जीएसटी से छोटे कारोबारियों का धंधा चौपट कर दिया।
पी चिदंबरम और कपिल सिब्बल ने राहुल गांधी को किया अनफाॅलो
मोदी बताएं की उन्होने अब तक कितने युवाओं को नौकरी दी है। उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार के पास गरीबों के लिए कुछ नहीं लेकिन यदि गुजरात में कांग्रेस की सरकार बनती है तो ये गरीबों-किसानों और युवाओं की सरकार होगी।