राजस्थान : स्थानीय निकाय चुनावों के लिए खर्च की सीमा पुनर्निर्धारित

राजस्थान : स्थानीय निकाय चुनावों के लिए खर्च की सीमा पुनर्निर्धारित

राजस्थान : स्थानीय निकाय चुनावों के लिए खर्च की सीमा पुनर्निर्धारित
Modified Date: December 23, 2025 / 10:24 pm IST
Published Date: December 23, 2025 10:24 pm IST

जयपुर, 23 दिसंबर (भाषा) राजस्थान के राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय निकायों के आगामी चुनावों के लिए खर्च सीमा का पुनर्निधारण किया है। इसके तहत विभिन्न पदों के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की अधिकतम व्यय सीमा बढ़ाई गई है।

अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इसके अनुसार आयोग ने इस बारे में अधिसूचना जारी की है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त राजेश्वर सिंह ने बताया कि आयोग द्वारा समय-समय पर पंचायती राज एवं नगरीय निकाय चुनावों में उम्मीदवारों के लिए अधिकतम चुनाव व्यय सीमा में संशोधन किया जाता रहा है।

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वर्ष 2014 में नगर निगम चुनाव में उम्मीदवारों के लिए अधिकतम 80 हजार रुपये खर्च करने की अनुमति थी, जिसे वर्ष 2019 में बढ़ाकर दो लाख 50 हजार रुपये किया गया। अब वर्ष 2025 के लिए यह सीमा और बढ़ाकर तीन लाख 50 हजार रुपये निर्धारित की गई है।

इसी तरह नगर परिषद चुनाव में वर्ष 2014 में उम्मीदवार अधिकतम 60 हजार रुपये तक खर्च कर सकते थे। वर्ष 2019 में यह सीमा एक लाख 50 हजार रुपये की गई और वर्ष 2025 में इसे बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया है।

इसी प्रकार नगर पालिका चुनाव में वर्ष 2014 में 40 हजार रुपये की सीमा थी, जो 2019 में एक लाख रुपये हुई और अब 2025 में एक लाख 50 हजार रुपये तय की गई है।

उन्होंने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं में जिला परिषद सदस्य के चुनाव के लिए वर्ष 2014 में अधिकतम 80 हजार रुपये खर्च करने की अनुमति थी। यह सीमा वर्ष 2019 में एक लाख 50 हजार रुपये की गई और वर्ष 2025 में इसे बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया गया है।

इसी तरह सरपंच पद के लिए वर्ष 2014 में अधिकतम 20 हजार रुपये खर्च करने की अनुमति थी। वर्ष 2019 में यह सीमा 50 हजार रुपये की गई और वर्ष 2025 में इसे बढ़ाकर एक लाख रुपये निर्धारित किया गया है।

उन्होंने कहा कि इन संशोधनों का उद्देश्य चुनाव प्रचार की बढ़ती लागत और वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप उम्मीदवारों को यथार्थपरक व्यय सीमा उपलब्ध कराना है, ताकि वे निर्धारित नियमों के अंतर्गत रहकर प्रभावी ढंग से चुनाव प्रचार कर सकें।

भाषा

अवि, पृथ्वी

रवि कांत


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