झारखंड के साहिबगंज पक्षी अभ्यारण्य में दुर्लभ प्रवासी पक्षी दिखा

झारखंड के साहिबगंज पक्षी अभ्यारण्य में दुर्लभ प्रवासी पक्षी दिखा

झारखंड के साहिबगंज पक्षी अभ्यारण्य में दुर्लभ प्रवासी पक्षी दिखा
Modified Date: December 11, 2025 / 04:59 pm IST
Published Date: December 11, 2025 4:59 pm IST

साहिबगंज, 11 दिसंबर (भाषा) झारखंड के साहिबगंज जिले के उधवा पक्षी अभयारण्य में लगभग एक दशक बाद ‘पलास गल’ नामक एक दुर्लभ प्रवासी पक्षी को देखा गया है, जिसे ‘ग्रेट ब्लैक-हेडेड गल’ भी कहा जाता है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि पक्षी को बुधवार शाम को देखा गया था।

साहिबगंज के संभागीय वन अधिकारी प्रबल गर्ग ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘बुधवार शाम को उधवा पक्षी अभयारण्य में पक्षी प्रेमियों ने एक कम उम्र के पलास गल को देखा। यह राज्य का एकमात्र ‘रामसर स्थल’ और पूर्वी भारत का एकमात्र पक्षी अभयारण्य है।’’

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वन अधिकारी ने दावा किया, ‘‘यह आर्द्रभूमि के लिए एक दुर्लभ प्रवासी पक्षी है और इसे आखिरी बार 2015 में पक्षी जनगणना के दौरान देखा गया था। लगभग एक दशक बाद इसकी वापसी पक्षी अभयारण्य की जैव विविधता के लिए एक सकारात्मक संकेत है।’’

अधिकारी ने कहा कि यह प्रजाति दक्षिणी रूस से मंगोलिया तक दलदली क्षेत्रों और द्वीपों में कॉलोनियों में प्रजनन करती है। यह एक प्रवासी पक्षी है, जो पूर्वी भूमध्य सागर, अरब और भारत में सर्दियां बिताता है। अधिकारी ने बताया, ‘‘यह पक्षी जमीन पर घोंसला बनाता है और दो से चार अंडे देता है।’’

अधिकारी ने कहा कि सभी प्रवासी पक्षी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित हैं और उन्हें या उनके आवास को कोई भी नुकसान पहुंचाना अधिनियम के तहत संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है, जिसके लिए सात साल तक कैद की सजा हो सकती है।

एशियाई जलपक्षी जनगणना के राज्य समन्वयक सत्य प्रकाश ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पलास गल का दिखना इस बात का संकेत है कि झील का वातावरण प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित, अनुकूल और आकर्षक है। 2015 में इसे पटौरा झील में देखा गया था जबकि बुधवार को इसे बरहाले झील में देखा गया। ये दोनों झीलें पक्षी अभयारण्य का हिस्सा हैं और गंगा नदी के तट पर स्थित हैं।

भाषा सुरभि रंजन

रंजन


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