मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना राष्ट्रपिता का अपमान : विपक्ष

मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना राष्ट्रपिता का अपमान : विपक्ष

मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना राष्ट्रपिता का अपमान : विपक्ष
Modified Date: December 15, 2025 / 04:00 pm IST
Published Date: December 15, 2025 4:00 pm IST

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) विपक्ष ने मनरेगा के स्थान पर नया कानून बनाने की तैयारी के बीच सोमवार को कहा कि आखिर इस योजना से महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है।

उसने यह आरोप भी लगाया कि सरकार का कदम महात्मा गांधी का अपमान है।

सरकार ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ (मनरेगा) को निरस्त करने और इस संबंध में एक नया कानून बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक लेकर आ सकती है।

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नए विधेयक का नाम ‘विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)’ (विकसित भारत- जी राम जी) विधेयक, 2025’ होगा।

विधेयक की प्रतियां लोकसभा सदस्यों को बांटी गई हैं।

सरकार के कदम के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब भी किसी योजना का नाम बदला जाता है, तो कार्यालयों, स्टेशनरी में बहुत सारे बदलाव करने पड़ते हैं…जिसके लिए पैसा खर्च किया जाता है। तो, क्या फायदा है? ऐसा क्यों किया जा रहा है?’’

उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है। महात्मा गांधी न केवल देश में, बल्कि दुनिया में सबसे बड़े नेता माने जाते हैं, इसलिए उनका नाम हटाना, मुझे वास्तव में समझ में नहीं आता कि उद्देश्य क्या है। उनका (सरकार) इरादा क्या है?’’

तृणमूल कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन ने सरकार के इस कदम को ‘‘महात्मा गांधी का अपमान’’ बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन फिर, क्या आप आश्चर्यचकित हैं। ये वही लोग हैं, जो महात्मा गांधी की हत्या करने वाले व्यक्ति का नायक की तरह सम्मान करते हैं। वे महात्मा गांधी का अपमान करना चाहते हैं और उन्हें इतिहास से हटाना चाहते हैं।’’

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव एम ए बेबी ने इसे इस तथ्य को छिपाने का प्रयास बताया और कहा कि योजना को खत्म किया जा रहा है।

उन्होंने दावा किया, ‘‘मनरेगा के संपूर्ण सुधार पर केंद्र सरकार की यह मनमानी इस चौंकाने वाले तथ्य को छिपाने का एक प्रयास है कि जिस ढांचे के तहत यह योजना संचालित होती थी, उसे खत्म किया जा रहा है और केंद्रीय हिस्सेदारी में भारी कमी की गई है।’

वामपंथी नेता ने आरोप लगाया, ‘‘इसकी जिम्मेदारी राज्यों पर डाली जा रही है और केंद्र अब आवंटन में कटौती करके विपक्ष शासित राज्यों को दंडित कर सकता है। यह उन तकनीकी हस्तक्षेपों को भी कानून में शामिल करेगा, जिनके माध्यम से लाखों लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।’’

भाषा हक

हक दिलीप

दिलीप


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