Reservation : खत्म हो सकता है इन जातियों का आरक्षण! 4 जून के बाद बड़ा फैसला, सरकार ने किया समीक्षा कराने का ऐलान

खत्म हो सकता है इन जातियों का आरक्षण! 4 जून के बाद बड़ा फैसला, Reservation for Muslim castes included in OBC may end

Reservation : खत्म हो सकता है इन जातियों का आरक्षण! 4 जून के बाद बड़ा फैसला, सरकार ने किया समीक्षा कराने का ऐलान

Supreme Court end 30 percent reservation

Modified Date: May 25, 2024 / 07:33 pm IST
Published Date: May 25, 2024 7:33 pm IST

जयपुरः Reservation for Muslim castes  कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब ओबीसी सर्टिफिकेट को लेकर देश भर में घमासान मचा हुआ है। बीजेपी शासित कई राज्यों की सरकारों ने अब ओबीसी आरक्षण की समीक्षा करने की बात कह रही है। इसमें अब राजस्थान भी शामिल हो गया है। राजस्थान सरकार भी ओबीसी आरक्षण की समीक्षा कराएगी। प्रदेश में 14 मुस्लिम जातियां ओबीसी आरक्षण का लाभ ले रही हैं, जिनको लेकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने स्पष्ट किया कि चार जून को चुनाव नतीजे आने के बाद सरकार इन जातियों के आरक्षण की समीक्षा कराएगी।

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Reservation for Muslim castes  मंत्री अविनाश गहलोत का कहना है कि चार जून के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश में 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी में आरक्षण दिया जा रहा है, जिनको कांग्रेस के समय शामिल किया गया। भाजपा की पिछली सरकारों के समय इनकी समीक्षा नहीं होने के लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। धर्म के आधार पर यह आरक्षण संविधान के विरुद्ध है। इस बारे में उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर समीक्षा कराई जाएगी, जिसके बाद कार्रवाई होगी।

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ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियां

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश में ओबीसी में 91 जाति-वर्ग शामिल हैं, जिनको आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। वहीं 14 मुस्लिम जातियां ओबीसी आरक्षण का लाभ ले रही हैं। इनमें नगारची-दमामी (मुस्लिम), राणा (मुस्लिम), बायती (बारोट मुस्लिम), सिंधी मुसलमान, सिपाही (मुस्लिम), फकीर (कब्रिस्तान में काम करने वाले), धोबी (मुस्लिम), मेव, कायमखानी, नागौरी, भिश्ती, मांगणियार, लखेरा, मिरासी, काठात, मेहरात, चीता, घोडात, बिसायती आदि शामिल है।

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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।