सच्चिदानंद सिन्हा की पौत्री ने पटना कलेक्ट्रेट को नहीं ढहाने की अपील की

सच्चिदानंद सिन्हा की पौत्री ने पटना कलेक्ट्रेट को नहीं ढहाने की अपील की

सच्चिदानंद सिन्हा की पौत्री ने पटना कलेक्ट्रेट को नहीं ढहाने की अपील की
Modified Date: November 29, 2022 / 08:30 pm IST
Published Date: October 18, 2020 1:00 pm IST

नयी दिल्ली/ पटना, 18 अक्टूबर (भाषा) आधुनिक बिहार के निर्माताओं में शामिल सच्चिदानंद सिन्हा की पौत्री 72 वर्षीय मधु वर्मा ने अधिकारियों से अपील की है कि ऐतिहासिक पटना कलेक्ट्रेट को नहीं ढहाया जाए। सदियों पुराने इस स्मारक के संरक्षण के लिए लोगों ने आवाज बुलंद कर रखी है।

सिन्हा बैरिस्टर, सांसद, पत्रकार और विश्वविद्यालय प्रशासक थे और 1912 में उस आंदोलन के अगुवा थे जिस कारण अंतत: बिहार एवं ओडिशा अलग प्रांत बने और पटना बिहार की राजधानी बनी।

पटना कलेक्ट्रेट की शुरुआत 1857 में गांधी मैदान (तब बांकीपुर मैदान) के नजदीक इसी स्थान से हुई और इसने पटना को बंगाल प्रांत का हिस्सा रहते हुए और फिर नये राज्य की राजधानी बनते देखा है।

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सिन्हा की पौत्री और प्रतिष्ठित पटना विश्वविद्यालय से इतिहास में दोहरा स्वर्ण पदक हासिल करने वाली मधु वर्मा को दुख महसूस होता है कि बिहार के अधिकारियों ने इसका संरक्षण करने के बजाए इसे ढहाने के लिए सोचा है।

उन्होंने कहा, ‘‘पटना कलेक्ट्रेट हमारे इतिहास का हिस्सा है, वह पटना के शहर के तौर पर और बिहार के राज्य के तौर पर इतिहास का हिस्सा है। डच शासनकाल से ही यह कई ऐतिहासिक पलों का गवाह रहा है और काफी मूल्यवान विरासत स्थल है। इसका संरक्षण होना चाहिए ताकि आगामी पीढ़ी को यह बिहार की कहानी बता सके।’’

पटना में जन्मी वर्मा अब 70 वर्ष से अधिक की हो चुकी हैं और वह गांधी मैदान के पास स्थित डाक बंगले और पटना विश्वविद्यालय के उप कुलपति के बंगले और कई विरासत स्थलों को याद करती हैं जिनको हटाकर पिछले कई दशकों में नये निर्माण किए गए हैं।

वर्मा ने कहा, ‘‘पिछले कुछ दशकों में काफी कुछ खत्म हो चुका है। पुराने भवन और खासकर पटना कलेक्ट्रेट शहर की यादगारी हैं। और मैं सरकार से अपील करती हूं कि कलेक्ट्रेट को नहीं ढहाए बल्कि इसका संरक्षण करे और इसे पर्यटन से जोड़े। यह लोगों को उनके इतिहास के बारे में शिक्षा देगा और इससे राजस्व भी आएगा।’’

उनके पति सेना से सेवानिवृत्त हैं और दंपति अब गुड़गांव में रहता है लेकिन मधु वर्मा कहती हैं कि ‘‘उनका दिल अब भी पटना के लिए धड़कता है।’’

इनटैक की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष 18 सितम्बर को पटना कलेक्ट्रेट को ढहाने पर रोक लगाने का आदेश दिया था जिससे विरासत स्थल प्रेमियों को थोड़ी राहत मिली है।

भाषा नीरज नीरज नरेश

नरेश


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