कोलकाता, 18 मई (भाषा) संदेशखालि से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक कार्यकर्ता पियाली दास को एक आपराधिक मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिये जाने और निजी मुचलके पर तत्काल रिहा करने का आदेश देने के एक दिन बाद शनिवार को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया।
दास के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया है, जिसमें आरोप है कि उन्होंने संदेशखालि की एक महिला से कोरे कागज पर हस्ताक्षर कराए थे और बाद में इस पर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत लिखी गई।
दास के शनिवार शाम को दमदम केंद्रीय सुधार गृह से बाहर आने के बाद, भाजपा समर्थकों ने उनका माला पहनाकर और फूल के गुलदस्ते से स्वागत किया।
दास ने संवाददाताओं से कहा, “मैं सच्चाई के साथ रहूंगी और इस साजिश से लड़ना जारी रखूंगी। अब अदालत में यह साबित हो गया है कि मेरी गिरफ्तारी अवैध थी। मैं संदेशखालि की पीड़ित महिलाओं के साथ खड़ी रहूंगी और सत्तारूढ़ पार्टी के अत्याचारों के खिलाफ लड़ती रहूंगी।’’
संदेशखालि के टीएमसी नेताओं पर यौन शोषण और जमीन हड़पने के आरोप लगे थे।
दास ने यह भी आरोप लगाया कि दिलीप मलिक सहित संदेशखालि के दो तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं ने उन्हें 20 लाख रुपये नकद रिश्वत देने की कोशिश की थी। हालांकि, मलिक ने इस आरोप को खारिज किया था।
दास ने 14 मई को आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद बशीरहाट उपसंभागीय अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दास की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें आठ दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। बाद में भाजपा कार्यकर्ता ने जमानत के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया।
दास के अधिवक्ता राजदीप मजूमदार ने अदालत के समक्ष कहा कि निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद पुलिस ने दास के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की एक गैर-जमानती धारा 195ए जोड़ दी। पश्चिम बंगाल सरकार ने जमानत अनुरोध का विरोध किया।
इस मामले पर 19 जून को दोबारा सुनवायी होगी।
कोलकाता से लगभग 100 किलोमीटर दूर, सुंदरबन की सीमा पर स्थित संदेशखालि में गिरफ्तार किए गए टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके समर्थकों के खिलाफ यौन शोषण और जमीन हड़पने के आरोपों को लेकर फरवरी में काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे।
भाषा अमित दिलीप
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