न्यायालय एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए राष्ट्रव्यापी दिशानिर्देशों पर कर रहा विचार
न्यायालय एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए राष्ट्रव्यापी दिशानिर्देशों पर कर रहा विचार
नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसों को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी दिशानिर्देश तैयार करने पर विचार कर रहा है।
शीर्ष अदालत ने यह इच्छा राजस्थान के फलोदी में 10 नवंबर को हुए सड़क हादसे में 15 लोगों की मौत के बाद स्वत: संज्ञान लेकर की जा रही सुनवाई के दौरान व्यक्त की।
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर अवैध ढाबों के निर्माण को सड़क दुर्घटनाओं का संभावित कारण बताया और एनएचएआई की ओर से मामले में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इन ढाबों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए वैधानिक नियमों और विनियमों को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
अदालत ने यह भी जानना चाहा कि अब तक क्या कार्रवाई की गई है, इसे शुरू करने के लिए कौन सा प्राधिकरण जिम्मेदार है और कौन से निकाय प्रावधानों को लागू नहीं कर रहे हैं।
न्यायालय ने आदेश में कहा, ‘‘ न्यायमित्र और सॉलिसिटर जनरल के बीच हुई चर्चा के बाद सामने आए संभावित समाधान दिशानिर्देश जारी करने में सहायक हो सकते हैं, इसलिए उन्हें भी प्रस्तुत किया जाए। इस बीच, पक्षकार गूगल छवियों का आदान-प्रदान करने के लिए स्वतंत्र हैं, जो वास्तविक समस्या को हल करने में सहायक हो सकती हैं।’’
मेहता ने दलील दी, ‘‘हमारे पास अवैध ढाबों और भोजनालयों को हटाने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार स्थानीय जिलाधिकारी को सौंप दिया गया है। स्थानीय पुलिस और अन्य अधिकारी उनके नियंत्रण में हैं, जो एनएचएआई के पास नहीं है। इसलिए हमें कोई समाधान निकालना होगा।’’
उन्होंने इस मुद्दे को गैर-विवादास्पद बताते हुए कहा कि आम तौर पर, प्रत्येक एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुछ किलोमीटर के बाद एक सर्विस रोड होती है, जहां खराब होने वाले वाहन खड़े किये जाते हैं।
न्यायमूर्ति बिश्नोई ने स्वीकार किया कि सर्विस रोड हैं, लेकिन रेखांकित किया कि यह हर एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्ग पर नहीं है, और इनके बीच में अवैध ढाबे और छोटे भोजनालय खुल जाते हैं, जहां अधिकांश दुर्घटनाएं होती हैं।
पीठ ने कहा कि एनएचएआई की रिपोर्ट राजमार्गों पर अतिक्रमण के लिए स्थानीय ठेकेदारों या प्रशासन को दोषी ठहराने की कोशिश प्रतीत होती है, लेकिन अदालत यह जानना चाहती है कि कानून के तहत किस प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने का दायित्व है कि ये भोजनालय न खुलें।
न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा कि अदालत प्रावधानों में मौजूद खामियों को दूर करने और फलोदी जैसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उनके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करना चाहती है।
एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से पेश हुए, अधिवक्ता प्रणव सचदेवा ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही इन मुद्दों पर विचार कर चुकी है और कुछ निर्देश दिए थे जिनका कार्यान्वयन नहीं किया गया। उन्होंने रेखांकित किया कि गोवा में ऐसे राजमार्ग हैं जो चिकित्सा महाविद्यालय या गांव से होकर गुजरते हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।
न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने इस पर कहा कि यह मुद्दा केवल एक राज्य का नहीं बल्कि पूरे देश का है और अदालत दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए व्यापक परिदृश्य पर विचार कर रही है।
मामले में न्यायमित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन एस नाडकर्णी ने कहा कि उन्होंने राजमार्गों पर व्यापक अतिक्रमण दिखाने के लिए गूगल तस्वीरें रिकॉर्ड में दर्ज कराई है।
भाषा धीरज नरेश
नरेश

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