जीएमआर को नागपुर हवाई अड्डे के संचालन के आदेश के खिलाफ याचिका पर न्यायालय ने विचार मांगा
जीएमआर को नागपुर हवाई अड्डे के संचालन के आदेश के खिलाफ याचिका पर न्यायालय ने विचार मांगा
नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने निजी कंपनी जीएमआर एयरपोर्ट्स को नागपुर स्थित बाबासाहेब आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उन्नयन और संचालन करने की अनुमति देने संबंधी अपने फैसले के खिलाफ केन्द्र और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की सुधारात्मक याचिका से संबंधित मुद्दों पर मंगलवार को सॉलिसिटर जनरल से विचार मांगे।
शीर्ष अदालत ने नौ मई, 2022 को बम्बई उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें हवाई अड्डे के उन्नयन एवं संचालन के लिए जीएमआर एयरपोर्ट्स को आवंटित अनुबंध को रद्द करने वाले एक संयुक्त उद्यम फर्म के मार्च 2020 के संचार को रद्द कर दिया गया था।
केंद्र और एएआई ने शीर्ष अदालत के 2022 के आदेश के खिलाफ एक सुधारात्मक याचिका दायर की है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की चार न्यायाधीशों की एक विशेष पीठ ने सुधारात्मक याचिका पर सुनवाई की।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह एक महत्वपूर्ण मामला है, जिसमें बड़ा वित्तीय मुद्दा जुड़ा हुआ है।’’
उन्होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह केंद्र के कानून अधिकारी के रूप में नहीं बल्कि अदालत के अधिकारी के रूप में अपने ‘‘निष्पक्ष’’ विचार दें।
पीठ ने कहा कि चूंकि वह सुधारात्मक याचिका पर विचार कर रही है, इसलिए उसे समानता के संतुलन को ध्यान में रखना होगा क्योंकि सरकार और निजी कंपनी के प्रतिस्पर्धी हित हैं।
सॉलिसिटर जनरल ने पीठ की सहायता करने पर सहमति जतायी और मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध करने का आग्रह किया। अदालत ने मेहता के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।
इससे पहले विशेष पीठ ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को हवाई अड्डे के लिए निविदा प्रक्रिया से संबंधित फाइल नोटिंग प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
वर्ष 2022 में, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा था कि उक्त निर्णय ठोस तर्क और तथ्यों के सही विश्लेषण पर आधारित है और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। उच्च न्यायालय के आदेश में संयुक्त उद्यम फर्म, एमआईएचएएन इंडिया लिमिटेड (मल्टी मॉडल इंटरनेशनल कार्गो हब एंड एयरपोर्ट एट नागपुर) द्वारा जारी मार्च 2020 के उस संचार को खारिज कर दिया गया था, जिसमें जीएमआर एयरपोर्ट्स को अनुबंध का आवंटन रद्द कर दिया गया था।
केंद्र सरकार का आरोप है कि उच्च न्यायालय ने उसकी बात नहीं सुनी।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि सरकारी निकायों द्वारा अनुबंध दिए जाते हैं, तो उनसे निष्पक्षता, समानता और कानून के शासन को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है।
शीर्ष अदालत का फैसला महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलप्मेंट कंपनी लिमिटेड की प्रमुख परियोजना एमआईएचएएन द्वारा दायर अपील पर आया, जिसमें उच्च न्यायालय के 18 अगस्त, 2021 के आदेश को चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि एमआईएचएएन इंडिया लिमिटेड द्वारा जीएमआर एयरपोर्ट्स लिमिटेड को जारी किया गया पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।
उच्च न्यायालय का यह आदेश जीएमआर एयरपोर्ट्स द्वारा दायर याचिका पर आया है, जिसमें एमआईएचएएन द्वारा नागपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के उन्नयन, आधुनिकीकरण, संचालन और प्रबंधन के लिए बोली प्रक्रिया को रद्द करने की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी, जबकि यह प्रक्रिया समाप्त हो चुकी थी और याचिकाकर्ता (जीएमआर) को 7 मार्च, 2019 को ‘लेटर ऑफ अवार्ड’ के माध्यम से परियोजना पहले ही प्रदान की जा चुकी थी।
याचिका के अनुसार, एमआईएचएएन परियोजना के लिए नए सिरे से निविदाएं जारी करने की योजना बना रहा था।
हालांकि, एमआईएचएएन ने दावा किया था कि 7 मार्च, 2019 को याचिकाकर्ता को भेजा गया संचार केवल एक बोली स्वीकृति पत्र था, न कि ‘लेटर आफ अवार्ड’।
कंपनी ने कहा कि पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बोली की स्वीकृति सशर्त है और इसके लिए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय की मंजूरी आवश्यक है।
भाषा अमित रंजन
रंजन

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