अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों के काम के बहिष्कार की वजह से दूसरे दिन भी सेवाएं बाधित

अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों के काम के बहिष्कार की वजह से दूसरे दिन भी सेवाएं बाधित

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  • Publish Date - December 7, 2021 / 06:08 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:13 PM IST

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) दिल्ली में स्थित केंद्र सरकार द्वारा संचालित राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन नियमित व आपातकालीन सेवाओं का बहिष्कार किया। वे राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातकोत्तर (नीट पीजी) 2021 की काउंसिलिंग में देरी को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रदर्शन का आह्वान फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने किया है। एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आईडीए) ने कहा कि उसके सदस्य देश में काम के अधिक बोझ से दबे रेजिडेंट डॉक्टरों के समर्थन में और नीट-पीजी काउंसिलिंग में देरी के खिलाफ काम करने के दौरान काली पट्टी बांधेंगे।

‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आईएमए ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्नातकोत्तर (पीजी) प्रवेश युद्ध स्तर पर हों।

सफदरजंग अस्पताल आरडीए के महासचिव डॉ अनुज अग्रवाल ने कहा, ‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जिस वजह से हमें प्रदर्शन जारी रखना पड़ रहा है।’

रेजिडेंट डॉक्टर मामले में उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही के कुछ सकारात्मक परिणामों का धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहे हैं। लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में आरडीए के अध्यक्ष डॉ सुनील दुचानिया ने कहा कि डॉक्टरों को शारीरिक और मानसिक तनाव से राहत मिलती नहीं दिख रही है।

डॉ दुचानिया ने कहा, ‘‘ ओपीडी और सभी नियमित सेवाओं से हटने के बावजूद अधिकारियों ने कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी, इसके बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने एफओआरडीए के राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के आह्वान के समर्थन में छह दिसंबर से सभी (नियमित व आपातकालीन) सेवाओं से हटने का फैसला किया।”

‘प्रोग्रेसिव मेडिकोज एंड साइंटिस्ट्स फोरम’ (पीएमएसएफ) ने एक बयान में कहा कि पीजी में दाखिले में देरी के कारण रेजिंडेट डॉक्टरों को ‘अधिक काम’ करना पड़ा है।

उसने कहा कि महामारी के बाद पीजी के मौजूदा बैच के जो विद्यार्थी बच गए हैं, उन्हें न सिर्फ व्यक्तिगत हानि हुई है बल्कि दो साल की स्नातकोत्तर शिक्षा का भी नुकसान हुआ है जो एक रेजिडेंट डॉक्टर को दो-तीन साल के प्रशिक्षण के दौरान हासिल करनी होती है।

उसने कहा, “पीएमएसएफ सिर्फ प्रदर्शन करने के लिए रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेगा और प्रदर्शन करना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। पीएमएसएफ प्रदर्शनकारी रेजिंडेट डॉक्टरों के साथ दृढ़ता से खड़ा है और मांग करता है कि नीट पीजी की काउंसिलिंग तुरंत आयोजित की जाए।”

इसने नीट-पीजी प्रवेश प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और मजबूत करने के लिए एक गंभीर प्रयास की भी मांग की ताकि इस स्थिति की पुनरावृत्ति नहीं हो।

एम्स आरडीए ने कहा कि नीट-पीजी काउंसिलिंग में देरी से भारतीय नागरिकों को लगभग 42,000 डॉक्टरों की सेवाओं से वंचित रखा जा रहा है जिन्हें कम से कम छह महीने पहले ही शामिल होना था।

उसने कहा कि कई अस्पताल अपने रेजिडेंट डॉक्टरों की कुल क्षमता का केवल दो तिहाई के साथ ही काम कर रहे हैं और मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं। उसने कहा “ वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के नए स्वरूप के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, इसलिए यह विवेकपूर्ण है कि हमारे देश को महामारी की एक और लहर के लिए तैयार रहना चाहिए।”

आरडीए ने शीर्ष अदालत और स्वास्थ्य मंत्रालय से जन और देश हित में नीट-पीजी 2021 काउंसिलिंग की प्रक्रिया को तेज करने का अनुरोध किया।

कोविड-19 के नये स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ का पता लगने के परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में कर्मियों की कमी पर चिंता जताते हुए आईएमए ने सोमवार को कहा कि मेडिकल कॉलेजों में नीट पीजी प्रवेश स्थगित करना खतरनाक है।

आईएमए ने कहा, ‘‘इसकी वजह से स्नातकोत्तर के लगभग दो बैच की कमी हो जाएगी, एक बैच जो परीक्षा के लिए उपस्थित हो रहा है और दूसरा जो प्रवेश की प्रतीक्षा कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप लगभग एक लाख युवा रेजिडेंट डॉक्टर संकट से निपटने के लिए उपलब्ध नहीं हो पाएंगे।”

उसने कहा, “आईएमए केंद्र सरकार से मांग करता है कि पीजी में प्रवेश की प्रक्रिया युद्ध स्तर पर होनी चाहिए। यदि पीजी प्रवेश को स्थगित किया जाता है तो कोविड संकट से निपटने में बहुत देरी हो जाएगी।’’

रेजिडेंट डॉक्टरों के काम का बहिष्कार करने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को आरएमएल अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों और एफओआरडीए के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।

एफओआरडीए के सदस्यों के अनुसार, मंत्री ने कहा कि वह मामले की जल्द सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय से आग्रह करेंगे और डॉक्टरों से अपना प्रदर्शन वापस लेने की अपील की, लेकिन रेजिडेंट डॉक्टरों ने इससे इनकार कर दिया।

स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक ने सोमवार को सफदरजंग अस्पताल का दौरा किया जहां उन्होंने रेजिडेंट डॉक्टरों से प्रदर्शन समाप्त करने की अपील की।

भाषा

नोमान नरेश

नरेश