कई न्यायविदों ने एकसाथ चुनाव का समर्थन किया, सिंघवी बोले: यह लोगों की इच्छा के विरूद्ध

कई न्यायविदों ने एकसाथ चुनाव का समर्थन किया, सिंघवी बोले: यह लोगों की इच्छा के विरूद्ध

कई न्यायविदों ने एकसाथ चुनाव का समर्थन किया, सिंघवी बोले: यह लोगों की इच्छा के विरूद्ध
Modified Date: April 22, 2025 / 08:56 pm IST
Published Date: April 22, 2025 8:56 pm IST

नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस सांसद अभिषेक सिंघवी ने संसद की एक समिति को बताया कि देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एकसाथ कराने के प्रावधान वाले दोनों मसौदा कानून ‘‘लोगों की इच्छा’’ और संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, हालांकि कई अन्य न्यायविदों ने कुछ बदलावों का सुझाव देते हुए उनके सकारात्मक प्रभाव का हवाला दिया।

सूत्रों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हेमंत गुप्ता ने उन विधानसभाओं के कार्यकाल में कटौती के विचार का विरोध किया, जिन्होंने कम से कम तीन साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है।

उन्होंने सुझाव दिया कि इन विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए।

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सूत्रों ने बताया कि उच्चतम के एक अन्य पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान ने ‘‘रचनात्मक अविश्वास प्रस्ताव के सिद्धांत’’ को पेश करने का आह्वान किया, ताकि यदि अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्तापक्ष को नीचे लाया जाता है तो एक वैकल्पिक सरकार कदम आगे बढ़ाने के लिए तैयार रहे।

चौहान ने कहा कि संविधान संशोधन विधेयक किसी भी तरह से संविधान की मूल संरचना, विशेषकर भारत के लोकतांत्रिक या संघीय चरित्र को प्रभावित नहीं करता है।

सूत्रों ने कहा कि गुप्ता ने संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में संशोधन करने पर अपनी व्यापक सहमति भी व्यक्त की।

हालांकि, सिंघवी ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की अवधारणा पर अपनी पार्टी के कड़े विरोध का समर्थन करने वाले कानूनी बिंदुओं पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने ओएनओई बिल का विरोध किया है।

सूत्रों का कहना है कि सिंघवी ने वित्त आयोग द्वारा राज्यों को वित्तीय संसाधनों के हस्तांतरण और स्थानीय निकायों के क्रमिक सशक्तीकरण का हवाला देते हुए कहा कि समय के साथ देश में संघवाद का विचार विकसित हुआ है।

उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल में कटौती और विधेयक के अन्य प्रावधान ‘‘लोगों की इच्छा’’ का उल्लंघन करते हैं।

भाषा हक

हक माधव

माधव


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