अमृतसर, 16 सितंबर (भाषा) सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब के पहले ‘प्रकाश पर्व’ के अवसर पर शनिवार को बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालुओं ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर और गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब में अरदास की और मत्था टेका।
इस अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की ओर से विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
इस दिन को लेकर शहर में कई दिन से कार्यक्रमों की एक शृंखला आयोजित की जा रही थी। इसके अलावा गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब से स्वर्ण मंदिर तक एक विशाल ‘नगर कीर्तन’ निकाला गया।
‘नगर कीर्तन’ शुरू करने से पहले ‘अखंड पाठ’ का ‘भोग’ आयोजित किया गया और ‘हजूरी रागी जत्थों’ ने गुरबानी कीर्तन किया।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने संगत के लोगों को पहले ‘प्रकाश पर्व’ की बधाई दी।
उन्होंने कहा, ‘‘गुरुग्रंथ साहिब सिखों के ‘गुरु’ हैं और पवित्र गुरबानी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर जीवन जीना प्रत्येक सिख का कर्तव्य है।’’
जत्थेदार ने बताया कि पांचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव ने 1,604 में गुरुग्रंथ साहिब को अपने हाथ से संकलित किया और पहली बार स्वर्ण मंदिर में प्रतिष्ठित किया।
जत्थेदार ने कहा, ‘‘गुरु के समय से लेकर आज तक, पहले ‘प्रकाश पर्व’ के मौके पर बड़ी संख्या में संगत के लोग इक्ट्ठा होते हैं और पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करते हैं।’’
उन्होंने संगत को पवित्र गुरबानी को अपने जीवन में अपनाने और ‘गुरमत’ (सिख गुरुओं की शिक्षा) के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।
भाषा खारी रंजन
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