छठी अनुसूची परिषदों को सशक्त किया जाए : असम से यूपीपीएल सदस्य ने की राज्यसभा में मांग

छठी अनुसूची परिषदों को सशक्त किया जाए : असम से यूपीपीएल सदस्य ने की राज्यसभा में मांग

छठी अनुसूची परिषदों को सशक्त किया जाए : असम से यूपीपीएल सदस्य ने की राज्यसभा में मांग
Modified Date: December 17, 2025 / 02:01 pm IST
Published Date: December 17, 2025 2:01 pm IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) छठी अनुसूची के तहत गठित जनजातीय स्वायत्त परिषदों की कथित ठहराव की स्थिति पर चिंता जताते हुए असम से यूपीपीएल के राज्यसभा सदस्य रवंगवरा नारजारी ने बुधवार को संविधान (125वां संशोधन) विधेयक, 2019 तत्काल पारित करने की मांग की, जो पिछले पांच वर्षों से राज्यसभा में लंबित है।

शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए नारजारी ने कहा कि संविधान ने देश की नौ प्रतिशत जनजातीय आबादी को छठी अनुसूची के तहत स्व-शासन का अधिकार दिया है, लेकिन इस प्रावधान के अंतर्गत गठित 10 स्वायत्त परिषदें पिछले 74 वर्षों से ‘स्थिर’ बनी हुई हैं, जिससे जनजातियां विकास से वंचित हैं।

उन्होंने कहा, “भारतीय संविधान जनजातियों को स्व-शासन का एक विशिष्ट प्रावधान देता है। छठी अनुसूची को उनके आर्थिक, शैक्षणिक, भाषाई और सामाजिक-सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा और पूर्ति, भूमि अधिकारों के संरक्षण तथा जातीय पहचान को बनाए रखने के लिए बनाया गया था।”

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स्वायत्त परिषद प्रणाली की शुरुआत 1951 में असम में कार्बी आंगलोंग और नॉर्थ कछार हिल्स परिषदों के गठन से हुई थी। इसके बाद 1952 में यूनाइटेड खासी-जैंतिया स्वायत्त जिला परिषद बनी। 1970 के दशक में मिजोरम में परिषदों का गठन हुआ, जबकि त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद 1985 में और बोडोलैंड भूभागीय क्षेत्र जिला 2002 में अस्तित्व में आये।

नारजारी ने कहा कि सरकार ने 68 वर्षों के बाद 2019 में छठी अनुसूची परिषदों के कार्यों की समीक्षा शुरू की और संविधान (125वां संशोधन) विधेयक पेश किया, जिसमें अनुच्छेद 280 सहित अन्य प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा, “यह प्रगतिशील विधेयक छठी अनुसूची परिषदों की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों व कार्यों को बढ़ाने के उद्देश्य से लाया गया था, लेकिन यह अब भी राज्यसभा में लंबित है।”

सांसद ने 2020 के बोडो समझौते का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इसे हुए अब पांच वर्ष बीत चुके हैं और इसमें शांति समझौते की धारा 4.3 को शामिल किया गया था।

केंद्र ने लंबित विधेयक के माध्यम से अनुच्छेद 280 में संशोधन कर बोडोलैंड भूभागीय परिषद को सशक्त करने का वादा किया था।

उन्होंने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन और असम सरकार के सहयोग से 2020 के बोडो समझौते का लगभग 70 प्रतिशत कार्यान्वयन हो चुका है, लेकिन कई महत्वपूर्ण प्रावधान अब भी लंबित हैं। आज बोडोलैंड के लोग बिना कोई और विलंब के पूर्ण क्रियान्वयन की मांग कर रहे हैं।”

नारजारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण के तहत देश आगे बढ़ रहा है और कई परिवर्तनकारी सुधार किए जा रहे हैं। ‘‘ ऐसे में यह सवाल उठता है कि छठी अनुसूची परिषदों में अब तक कोई बदलाव क्यों नहीं हुआ।’’

उन्होंने सरकार से 2019 के संशोधन विधेयक में प्रस्तावित “महत्वपूर्ण सुधारों” को लागू करने का आग्रह किया, ताकि ये परिषदें प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।

भाषा मनीषा माधव

माधव


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