आवारा कुत्तों का मामला : न्यायालय ने कहा, मुख्य सचिवों को प्रत्यक्ष तौर पर पेश होना होगा

आवारा कुत्तों का मामला : न्यायालय ने कहा, मुख्य सचिवों को प्रत्यक्ष तौर पर पेश होना होगा

आवारा कुत्तों का मामला : न्यायालय ने कहा, मुख्य सचिवों को प्रत्यक्ष तौर पर पेश होना होगा
Modified Date: October 31, 2025 / 11:43 am IST
Published Date: October 31, 2025 11:43 am IST

नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को आवारा कुत्तों के मामले में तीन नवंबर को अदालत के समक्ष डिजिटल माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जाए।

मेहता ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया जिसने स्पष्ट कर दिया कि मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को अदालत के समक्ष प्रत्यक्ष रूप से पेश होना होगा।

न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, ‘‘जब हम उनसे अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए कहते हैं तो वे बस, इस पर चुप्पी साधे रहते हैं। अदालत के आदेश के प्रति कोई सम्मान नहीं। तो ठीक है, उन्हें आने दीजिए।’’

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मेहता ने पीठ से आग्रह किया कि मुख्य सचिवों को प्रत्यक्ष रूप से पेश होने के बजाय डिजिटल माध्यम से अदालत के समक्ष पेश होने की अनुमति दी जाए।

शीर्ष अदालत ने 27 अक्टूबर को आवारा कुत्तों के मामले की सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को अदालत के समक्ष उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया था कि अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया गया।

उच्च्तम न्यायालय ने 22 अगस्त को आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमाओं से आगे बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था।

न्यायालय ने नगर निगम अधिकारियों को पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के अनुपालन के उद्देश्य से कुत्तों के लिए उपलब्ध बाड़ा, पशु चिकित्सकों, कुत्तों को पकड़ने वाले कर्मियों और विशेष रूप से संशोधित वाहनों एवं पिंजरों जैसे संसाधनों के पूर्ण आंकड़ों के साथ अनुपालन पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

पीठ ने इस मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाया था और कहा था कि एबीसी नियमों का प्रयोग पूरे भारत में एक समान है।

उच्चतम न्यायालय एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा है जो 28 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से विशेष रूप से बच्चों में रेबीज होने की एक मीडिया रिपोर्ट आने के बाद शुरू किया गया था।

भाषा

सुरभि मनीषा

मनीषा


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