नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) एशिया की नदियों के प्रवाह के संबंध में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि अतीत में भीषण सूखे के कारण कई स्थान प्रभावित हुए और इनमें से कुछ जगहों पर आज ऊर्जा संयंत्र हैं। वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस अध्ययन के जरिए क्षेत्र के जल प्रवाह चक्र में दीर्घावधि में बदलाव का अनुमान लगाया जा सकता है।
शोध पत्रिका ‘वाटर रिसोर्सेज रिसर्च’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि अध्ययन के नतीजों से जल प्रबंधन और बिजली उत्पादन पर पड़ने वाले असर के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
अध्ययन के सह-लेखक और सिंगापुर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन (एसयूटीडी) से जुड़े स्टेफनो गालेली के मुताबिक, ‘‘हमारे रिकॉर्ड से पता चलता है कि ‘बिजली उत्पादन वाले कई स्थल अतीत में भीषण सूखे’ के कारण प्रभावित हुए। इसलिए हम इस सूचना का इस्तेमाल प्रतिकूल घटनाओं को रोकने या खतरे को कम करने में कर सकते हैं।’’
अध्ययन के मुताबिक एशिया की नदियों के प्रवाह चक्र को समझना जरूरी है। इसमें भारत में गोदावरी से लेकर दक्षिणपूर्व एशिया में मेकॉन्ग तक सूखे के पैटर्न का जिक्र किया गया है।
इस क्षेत्र में नदी किनारे घनी आबादी है और यह तीन अरब से ज्यादा की आबादी की जल, ऊर्जा और भोजन संबंधी जरूरतें भी पूरा करती है। इसलिए जल प्रवाह के चक्र को जानकर एशियाई मानसून के क्षेत्र में दीर्घावधि में होने वाले बदलाव और जलापूर्ति पर पड़ने वाले असर का अंदाजा लगाया जा सकता है।
गालेली के मुताबिक, इस नतीजों से जान सकते हैं कि कब-कब जल प्रवाह चक्र में बदलाव हुआ और इसके हिसाब से भविष्य के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।
भाषा सुरभि नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
खबर लोस चुनाव निर्वाचन आयोग भाजपा कांग्रेस चार
20 mins agoखबर लोस चुनाव निर्वाचन आयोग भाजपा कांग्रेस तीन
20 mins agoखबर लोस चुनाव निर्वाचन आयोग भाजपा कांग्रेस दो
22 mins ago