भीमा कोरेगांव केस, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नजरबंदी 4 हफ्ते तक जारी रहेगी, नहीं होगी एसआईटी जांच

भीमा कोरेगांव केस, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नजरबंदी 4 हफ्ते तक जारी रहेगी, नहीं होगी एसआईटी जांच

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  • Publish Date - September 28, 2018 / 07:53 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:38 PM IST

नई दिल्ली। भीमा- कोरेगांव हिंसा मामले में नक्सल से जुड़े होने के आरोप में 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि इस केस की एसआईटी जांच नहीं होगी। सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि हैदराबाद में वामपंथी कार्यकर्ता और कवि वरवर राव, मुंबई में कार्यकर्ता वरनन गोन्जाल्विस और अरुण फरेरा, छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और दिल्ली में रहने वाले गौतम नवलखा को जमानत नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन सबको अगले चार हफ्ते तक घर में नजर बंद रखा जाएगा

बता दें कि 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उनके घरों में ही हाउस अरेस्ट रखने के आदेश दिए थे। तब से वे सभी अपने घरों में नजरबंद हैं। उनके पक्ष में याचिका रोमिला थापर, देवकी जैन, प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे और माया दारूवाला ने लगाई थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच और जमानत की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने 20 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था और महाराष्ट्र पुलिस की केस डायरी भी ले ली थी

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3 जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से फैसला सुनाया। बहुमत से विपरित जाकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, कि 14 सितंबर को ही इस कोर्ट ने एक व्यक्ति को 50 लाख रुपये का मुआवज़ा देने के आदेश दिए, जिसे 25 साल पहले फंसाया गया था यह कोर्ट की निगरानी में SIT से जांच कराए जाने के लिए फिट केस है। उन्होंने कहा, गिरफ्तार आरोपियों का नक्सलियों से कोई लिंक नहीं पाया गया किसी अनुमान के आधार पर आज़ादी का हनन नहीं किया जा सकता कोर्ट को इसे लेकर सावधान रहना चाहिए पुणे पुलिस का बर्ताव इस मामले में सही नहीं रहा है

वेब डेस्क, IBC24