तिरुवनंतपुरम, 26 अक्टूबर (भाषा) केरल विधानसभा में मंगलवार को उस वक्त तीखी नोकझोंक और प्रदर्शन देखने को मिला, जब विपक्षी यूडीएफ ने सत्तारूढ़ माकपा के एक नेता द्वारा अपनी बेटी की जानकारी के बिना अपने नाती को गोद दे दिए जाने का मुद्दा उठाया और इसे राज्य में घटित सबसे जघन्य ‘ऑनर क्राइम’ करार दिया।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने वाम सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए इस अपराध में मार्क्सवादी पार्टी के शीर्ष नेता और पूरी सरकारी मशीनरी के शामिल होने का आरोप लगाते हुए घटना की न्यायिक जांच की मांग की है।
उन्होंने माकपा नेतृत्व के वर्तमान दावे पर भी सवाल उठाया कि वह मां को उसके बच्चे को वापस दिलाना चाहता है।
यह देखना दिलचस्प था कि क्रांतिकारी मार्क्सवादी पार्टी (आरएमपी) की नेता और वडकारा विधायक के के रेमा ने विपक्ष की ओर से स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस की मांग की। रेमा माकपा और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की कट्टर आलोचक रही हैं।
अपने जोरदार संबोधन में रेमा ने आरोप लगाया कि पुलिस और राज्य बाल कल्याण परिषद ने कानून के दायरे में काम नहीं किया और इसने शिकायतकर्ता अनुपमा एस चंद्रन के पिता के प्रभाव में आकर गंभीर चूक की है। अनुपमा के पिता माकपा के स्थानीय समिति सदस्य हैं।
उन्होंने कहा कि गृह विभाग संभालने वाले विजयन राज्य की माताओं और बच्चों के सामने सिर झुकाकर ही खड़े हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अनुपमा और उनकी बच्ची केरल के अब तक के सबसे जघन्य ‘ऑनर क्राइम’ (इज्जत की खातिर अपराध) में से एक की शिकार हैं। यह पूरे राज्य तंत्र द्वारा सामूहिक रूप से निष्पादित एक ऑनर क्राइम है।’’
24 वर्षीय अनुपमा ने अपने माता-पिता पर आरोप लगाया था कि उन लोगों ने एक साल पहले उसके नवजात बच्चे को जन्म के तुरंत बाद जबरन उससे छीन लिया था। उसने यह भी आरोप लगाया था कि हालांकि उसने अप्रैल से कई बार पुलिस में इसकी शिकायत की थी, लेकिन वे उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने से हिचक रहे थे।
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सुरेश नरेश
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