टीकाकरण में वृद्धि से ही कम किए जा सकते हैं कोरोना वायरस के स्वरूप : गगनदीप कांग

टीकाकरण में वृद्धि से ही कम किए जा सकते हैं कोरोना वायरस के स्वरूप : गगनदीप कांग

टीकाकरण में वृद्धि से ही कम किए जा सकते हैं कोरोना वायरस के स्वरूप : गगनदीप कांग
Modified Date: November 29, 2022 / 08:03 pm IST
Published Date: May 26, 2021 1:01 pm IST

नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) जानी-मानी चिकित्सकीय वैज्ञानिक गगनदीप कांग ने कोविड रोधी टीकाकरण को लेकर फ्रांस के विषाणु विज्ञानी एवं नाबेल पुरस्कार विजेता लुक मांटेगनियर के दावे को गलत करार देते हुए कहा कि केवल टीकाकरण में वृद्धि किए जाने से कोरोना वायरस के स्वरूपों को कम किया जा सकता है।

कांग ने कहा कि मांटेगनियर ने यह नहीं कहा कि टीकाकरण कराने वाले सभी व्यक्ति दो साल के भीतर मर जाएंगे, जैसा कि कई जगह दावा किया गया है, लेकिन उन्होंने यह कहा कि वायरस के नए स्वरूप टीकाकरण के माध्यम से एंटीबॉडी हस्तक्षेप से उत्पन्न होते हैं।

उन्होंने ट्वीट में कहा कि मांटेगनियर ने यह भी कहा कि टीकाकरण करा चुके लोगों में ‘एंटीबॉडी निर्भरता वृद्धि’ (एडीई) और सामूहिक टीकाकरण की वजह से संक्रमण अधिक मजबूत होगा और यह एक बड़ी गलती, एक चिकित्सकीय गलती है।

 ⁠

कांग ने कहा के ये दावे ‘‘सही नहीं हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब हम संक्रमित होते हैं या हमारा टीकाकरण होता है तो हम समूचे वायरस या वायरस के हिस्से के खिलाफ एंटीबॉडी उत्पन्न करते हैं। किसी विषाणु संक्रमण में, एंटीबॉडी सहित शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता विषाणु को प्रतिकृति बनाने से रोक देती है और हम ठीक हो जाते हैं।’’

टीकाकरण को ‘‘तैयारी और नियंत्रण’’ की कवायद करार देते हुए टीका विज्ञानी ने कहा कि इससे उत्पन्न होने वाली प्रतिक्रिया का (विषाणु से) तत्काल लड़ाई से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन ‘‘हम रोग प्रतिरोधक क्षमता को यह सिखा देते हैं कि यदि या जब भी विषाणु आए तो वह उसे पहचान ले।’’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि कुछ लोगों में, खासकर जो रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी विकार से पीड़ित हों, संभव है कि वायरस की प्रतिकृति दीर्घकालिक हो सकती है। इस तरह के (दुर्लभ) मामलों में वायरस के ऐसे स्वरूप विकसित हो सकते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच जाएं।

कांग ने कहा कि वायरस के स्वरूप अनेक हो सकते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसे होंगे जो रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच निकलें।

उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि वायरस आबादी के जरिए फैलता है और तेजी से विस्तार करता है, कुछ स्वरूप ऐसे हो सकते हैं जो टीकों से उत्पन्न रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच निकलें, ऐसी स्थिति टीकों को कम प्रभावी कर सकती है।’’

कांग ने कहा, ‘‘चाहे यह बी1.351 और बी1.617.2 स्वरूप हों जो हम वर्तमान में देख रहे हैं, टीके की दोनों खुराक (कतर और ब्रिटेन से लिए गए आंकड़ों के अनुसार) पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराती हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वायरस के स्वरूपों में कमी लाने का एकमात्र रास्ता टीकारण को बंद करना नहीं, बल्कि इसे विस्तारित करना है जिससे कि वायरस का प्रसार रुके और यह अपनी प्रतिकृति न बना पाए।’’

भाषा

नेत्रपाल पवनेश

पवनेश


लेखक के बारे में