पुण्यतिथि, जय जवान-जय किसान का नारा देने वाले शास्त्रीजी ने देश को कई संकटों से उबारा

पुण्यतिथि, जय जवान-जय किसान का नारा देने वाले शास्त्रीजी ने देश को कई संकटों से उबारा

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  • Publish Date - January 11, 2019 / 09:03 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:05 PM IST

नई दिल्ली। आज देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि है। 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में इनका जन्म हुआ था। स्कूली शिक्षा के लिए वे कई मील की दूरी पैदल तय कर पढ़ने जाते थे। सिर्फ 16 साल की उम्र में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए शास्त्री जी ने देशवासियों से आह्वान किया। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने अपना सरनेम ‘श्रीवास्तव’ हमेशा के लिए हटा दिया और अपने नाम के आगे शास्त्री लगाने लगे।

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तीस से अधिक सालों तक अपनी समर्पित सेवा के दौरान लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी के कारण लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गए। विनम्र, दृढ, सहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति वाले शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा। 10 जनवरी 1966 को भारत-पाकिस्तान के बीच हुए ताशकंद समझौते के अगले दिन 11 जनवरी को शास्त्री जी की संदिग्ध मौत हो गई।

जय जवान जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री ने अपने कार्यकाल में देश को कई संकटों से उबारा। वे 18 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे। आइए जानते हैं उनसे जुड़े कुछ किस्से…

  • सोवियत संघ के ताशकंद में 10 जनवरी, 1966 को भारत और पाकिस्‍तान ने एक समझौते पर दस्‍तखत किए थे। उसी रात ताशकंद में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया था।
  • – शास्‍त्री के निधन के बाद परिजनों ने उनकी मौत पर सवाल उठाए थे। उनके बेटे अनिल शास्त्री के मुताबिक लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद उनका पूरा चेहरा नीला हो गया था, उनके मुंह पर सफेद धब्बे पाए गए थे।
  • – उन्‍होंने कहा था कि शास्‍त्री के पास हमेशा एक डायरी रहती थी, लेकिन वह डायरी नहीं मिली। इसके अलावा उनके पास हरदम एक थर्मस रहता था, वो भी गायब था। इसके अलावा पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ था, जिससे उनकी मौत संदेहजनक मानी जाती है।
  • – शास्त्री जी की मौत के वक्त उनके होटल में ही मौजूद पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी आत्मकथा बियॉन्ड द लाइंस और इंटरव्यू में उनकी मौत और उनसे जुड़े कुछ किस्सों के बारे में बताया था।
  • – कुलदीप बताते हैं उस समय भारत-पाकिस्तान समझौते की खुशी में होटल में पार्टी थी। वे बताते हैं कि उनकी नींद दरवाजे की दस्तक से खुली। सामने एक रूसी औरत खड़ी थी, जो उनसे बोली, “यॉर प्राइम मिनिस्टर इज दाइंग।”
  • – नैयर तेजी से कोट पहनकर नीचे आए। वहां पर रूसी प्रधानमंत्री कोसिगिन खड़े थे। एक पलंग पर शास्त्री जी का छोटा सा शरीर सिमटा हुआ था। नैयर बताते हैं वहां जनरल अयूब भी पहुंचे।नैयर बताते हैं देर रात शास्त्री जी ने अपने घर पर फोन किया था। फोन उनकी सबसे बड़ी बेटी ने उठाया था। फोन उठते ही शास्त्री बोले, ‘अम्मा को फोन दो।’ शास्त्री अपनी पत्नी ललिता को अम्मा कहा करते थे।
  • – उनकी बड़ी बेटी ने जवाब दिया, अम्मा फोन पर नहीं आएंगीं। शास्त्री जी ने पूछा क्यों? जवाब मिला क्योंकि आपने हाजी पीर और ठिथवाल पाकिस्तान को दे दिया है। वो बहुत नाराज हैं। शास्त्री को इस बात से बहुत धक्का लगा।
  • – नैयर बताते हैं इसके बाद शास्त्री जी परेशान होकर कमरे में चक्कर लगाने लगे। हालांकि कुछ देर में उन्होंने फिर अपने सचिव को फोन किया। वो भारत में नेताओं की प्रतिक्रिया जानना चाहते थे। उन्हें आलोचना भरी दो प्रतिक्रियाएं मिली थीं।