भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय : चिदंबरम

भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय : चिदंबरम

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  • Publish Date - May 14, 2022 / 10:55 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

उदयपुर (राजस्थान), 14 मई (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है और पिछले आठ वर्षों में धीमी आर्थिक विकास दर केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान रही है।

पूर्व वित्त मंत्री ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि वैश्विक और स्थानीय घटनाक्रमों के मद्देनजर यह जरूरी हो गया है कि उदारीकरण के 30 साल के बाद अब आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने पर विचार किया जाए।

उन्होंने हालांकि कहा कि उनकी इस मांग का यह मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस उदारीकरण से पीछे हट रही है, बल्कि उदारीकरण के बाद पार्टी आगे की ओर कदम बढ़ा रही है।

चिदंबरम ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। पिछले आठ वर्षों में धीमी आर्थिक विकास दर केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान रही है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘महामारी के बाद अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार बहुत साधारण और अवरोध से भरा रहा है। पिछले पांच महीनों के दौरान समय समय पर 2022-23 के लिए विकास दर का अनुमान कम किया जाता रहा है।’’

उन्होंने कहा कि महंगाई अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच गई है और आगे भी इसके बढ़ते रहने की आशंका है। उनके मुताबिक, रोजगार की स्थिति कभी भी इतनी खराब नहीं रही।

चिदंबरम ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बकाये का उल्लेख करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्यों के बीच के राजकोषीय संबंधों की समग्र समीक्षा की जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘उदारीकरण के 30 वर्षों के बाद यह महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक और स्थानीय घटनाक्रमों को देखते हुए आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने के बारे में विचार करने की जरूरत है।’’

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘भारत सरकार कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी पर महंगाई का ठीकरा नहीं फोड़ सकती। महंगाई में बढ़ोतरी यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के पहले से हो रही है।’’

गेहूं के निर्यात पर रोक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि केंद्र सरकार पर्याप्त गेहूं खरीदने में विफल रही है। यह एक किसान विरोधी कदम है। मुझे हैरानी नहीं है क्योंकि यह सरकार कभी भी किसान हितैषी नहीं रही है।’’

भाषा हक सुरभि मनीषा

मनीषा