पर्यावरण के नाम पर बस संगोष्ठियां एवं व्याख्यान होते हें, जमीनी स्तर पर गंभीर काम नहीं होता है: एनजीटी

पर्यावरण के नाम पर बस संगोष्ठियां एवं व्याख्यान होते हें, जमीनी स्तर पर गंभीर काम नहीं होता है: एनजीटी

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  • Publish Date - July 30, 2021 / 07:16 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:04 PM IST

नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शुक्रवार को कहा कि पर्यावरण संरक्षण के नाम पर ढेरों संगोष्ठियां, व्याख्यान एवं परिचर्चाएं होती हैं लेकिन जमीन स्तर पर उल्लेखनीय कार्य का अभाव नजर आता है।

हरित पैनल ने कहा कि पिछले 40 सालों में पर्यावरण संरक्षण के लिए अगुवा बस न्यायपालिका रहा है। एनजीटी ने बेंगलुरु में गोदरेज प्रोपर्टीज एवं वंडर प्रोजेक्ट्स डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ऊंची इमारत परियोजना को मिली पर्यावरण अनापत्ति को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की एवं तत्काल उसे ढहाने का आदेश दिया।

अधिकरण की पीठ ने कहा,‘‘प्राथमिक रूप से कार्यपालकों (कार्यपालिका से जुड़े लोग) पर पर्यावरण को स्वच्छ एवं हरित के रूप से संजोकर रखने की जिम्मेदारी है लेकिन दुर्भाग्य से वे उसे विकास की अपनी धारणा के लिए दुश्मन समझते हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ कार्यपालकों, नेताओं एवं अन्य द्वारा पर्यावरण को बचाने के नाम पर ढेरों संगोष्ठियां, व्याख्यान एवं परिचर्चाएं करायी जाती हैं लेकिन जमीनी स्तर पर उल्लेखनीय काम का अभाव होता है।’’

अधिकरण ने कहा कि कभी-कभी कार्यकारी कुछ कानून बनाकर संतुष्टि महसूस कर लेते हैं लेकिन वे उन्हें लागू करने के प्रति गंभीर नहीं होते। उसने कहा कि न्यायपालिका की ओर से जब आदेश पारित कर दिये जाते हैं तब असली समस्या उन आदेशों को लागू करने को लेकर आती है तथा उनका पालन करने के प्रति ईमानदार प्रयास दिखाने के बजाय उसे लागू करने में परेशानियां दिखाने एवं बहानेबाजी अधिक की जाती हैं।

एनजीटी ने कहा, ‘‘यहां तक संबंधित विभाग भी इस प्रकार कार्यों के निर्वहन में ईमानदार नहीं रहता है कि पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी का संरक्षण हो। दूसरी तरफ, ऐसा जान पड़ता है कि उसे बोझ एवं विकास के लिए बाधा समझा जाता है। ’’

अधिकरण ने कहा कि यह दृष्टिकोण संपोषणीय विकास की अवधारणा के लिए अनुकूल एवं सुसंगत नहीं है।

भाषा राजकुमार उमा

उमा